तुम्हें अब बताऊं भी कैसे?

हर सुहागन चाहती है कि उसका सुहाग उसके साथ हो , पर जब एक जवान देश के लिए शहीद हो जाता है तो उसकी पत्नी उससे क्या कहती है।

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Jyoti agrawal
Jyoti agrawal 03 Jun, 2020 | 1 min read

तुम तो चले गए अकेले ही सिंदूर तुमसे मंगाऊं भी कैसे?

सुहाग ही नहीं है मेरे पास तो अब मांग भरवाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे की सज संवरी रहा करो,

बिना तेरे यह श्रृंगार सजाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे की आंखो में काजल लगाया करो,

जब तू ही ना हो सामने तो लगाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे की होठ बड़े ही सुन्दर है तुम्हारे

तेरा दीदार ही ना मिले तो रिझाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे की मेहंदी नहीं रचाई तुमने ,

जब तक तेरा नाम ना मिले रचाऊं भी कैसे?


‌तुम कहते थे कि बदन में लचल है बड़ी तुम्हारी

बिन तुम्हारे एहसास अब बदन को गहनों से लदाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे कि बिंदी बहुत जचती है तुम पर,

जब तू ही चला गया छोड़ तो जचाऊं भी कैसे?


तुम कहते थे कि पूरा श्रृंगार कर दुल्हन सी लगती हो 

अब तुम है नहीं हो तो खुद को दुल्हन बनाऊं भी कैसे?

नाक की नथलि, पैरो की पायल, हाथो का चूड़ा,

तेरी यह निशानी खुद के हाथ से मिटाऊं भी कैसे?


देश की सेवा में तू जान देकर शहीद हो गया,

अब मुझे बस तू इतना बता दे तेरे पास आऊं भी कैसे?


ज्योति अग्रवाल

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Jyoti agrawal

jyotiagrawal_m

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    निःशब्द

  • Jyoti agrawal · 3 years ago last edited 3 years ago

    Ji bhut sukriya inn sabdo ke liye 😊

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