हुई बिदाई लेकर जुदाई

हुई बिदाई लेकर जुदाई

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 568
Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 24 Apr, 2022 | 1 min read

हुई बिदाई लेकर जुदाई

आखिर वो पावन बेला आयी,

भोली- भाली अल्हड़ लड़की जब सजी-संवरी औऱ सकुचाई ।

माँ- पिताजी के दिल के उस टुकड़े ने जब वरमाला अपने दूल्हे को पहनाई,

तो माँ- पिताजी के दिलों में एक टीस औऱ गलों में एक दबी-सी सिसक भर आई ।

एक तरफ अपनी प्यारी बिटिया को अच्छा घर मिल जाने की ख़ुशी से दोनों की आँखें डबडबाईं,

तो दूसरी ओर बिटिया की बिदाई की भी याद उन्हें हो आई ।

अब उनकी बिटिया सिर्फ उनकी ही न रही व अब हो गयी वो पराई,

इस ख़याल से दोनों की जान ही मानो अंतर से बाहर को आई ।

खाली हुआ अब उनके घर का आँगन,

सोच हुआ माँ- पिताजी का घायल अंतर्मन।

विवाह के रीति- रिवाज़ हुए संपन्न, 

आ खड़ी हुई विदाई की घड़ी आनन- फानन ।

छा गयी मायके में विदाई की सब ओर रुस्वाई,

आँखें सबकी आंसुओं की अविरल धारा से भर आईं।

बिटिया को गले लगाकर माँ की सिसकियाँ तेज़ी से आईं,

पिता ने दिल पर पत्थर रख बिटिया को अपना आशीर्वाद दे ली उससे जुदाई।

अपनी छोटी बहन को जाते देख बचपन भाई कीआँखों के सामने अनायास ही लहराया

उन यादों से छलनी हो उसका भी दिल लबालब भर आया।

भाभी को अपने गले लगा ले ली उसने सबसे जुदाई,

माँ- पिताजी का ख़याल रखने की उसने भाभी को दे दी दुहाई ।

मायके से ले भारी मन से बिदाई हुई पूरी उसकी जुदाई

आयी अब वह अपने ससुराल लेकर उम्मीद इक नए खुशहाल जीवन की ।

बंद हुआ उसके जीवन का एक अध्याय,

तो अब होगा शुरू दूसरा जिसके पन्ने वह लिखेगी कर स्वाध्याय


©️जूही प्रकाश सिंह

Insta; juhi.prakashsingh






0 likes

Support Juhi Prakash Singh

Please login to support the author.

Published By

Juhi Prakash Singh

juhiprakashsingh

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.