सूरजमुखी

Be like sunflower which smiles even in the fierce sun

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Juhi Prakash Singh
Juhi Prakash Singh 11 Jun, 2021 | 1 min read

ग्रीष्म ऋतू अपनी चरम सीमा पर है 

धरती की तपन बुलंदियों पर है 

बसंती की शीतल हवा में अब जेठ की जलती अगन है 

लू के थपेड़ों से हर तरफ सुलगती जलन है

अमराई को पर इस लू का बेसब्री से इंतज़ार है 

कच्ची कैरियों को रसीले आम में जो यह बदल देती है 

कोयल भी अमराई में यही ख़ुशी बनाती है 

वृक्ष- वृक्ष टहनी टहनी पर बैठकर अपनी कुहू- कुहू से हमें यही जताती है 

बागों में सूरजमुखी इसी लू में लहलहा रहे हैं 

अपने हँसमुख चेहरे सूर्य देवता को दिखा रहे हैं 

यह हमें चुपचाप कुछ बता रहे हैं 

मुश्किल दौर में भी अपना सर ऊंचा करके जीना सिखा रहे हैं 

जीवन की घूप- छांव में एक सा रहने का गुण दिखा रहे हैं  

लू, आंधी- तूफ़ान में भी डटकर खड़े रहना है यह बता रहे हैं 

ख़ुशी ओर ग़म के पलटते पन्ने ही तो ज़िन्दगी की कहानी है 

हँसमुख सूरजमुखी की तरह हँसते हुए इनको पढ़ते जाना है  

सूरजमुखी सा रहिए एकसार ओर मगन चाहे हो घूप या हो छाया

जीवन को अपने सुखमय है इस ' जूही' ने इसी प्रकार बनाया 

- जूही प्रकाश सिंह 




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