नई शुरुआत

मां बेटी का प्यार

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Himani Sharma
Himani Sharma 20 Oct, 2020 | 1 min read

उसका आना मेरे लिए एक नई शुरुआत थी पर वह ज्यादा दिन साथ नहीं निभा सका कहते-कहते प्रज्ञा का गला रूंध गया।

इस तरह मत रो प्रज्ञा जो हमारी किस्मत में नहीं होता वह हमें कभी नहीं मिलता है सिम्मी ने समझाया...

पता है सिम्मी.. पर ईश्वर मेरे साथ ही ऐसा क्यों करता है...! कहते हुए प्रज्ञा रोने लगी... "चार बार मैंने अपने बच्चों को खोया, पहला नौवें महीने में, दूसरा सातवें में, तीसरे छठे महीने में और चौथा चौथे में , ओर पता है सिम्मी चारों ही बेटे थे, लग रहा था कि अगर इनमें से एक भी बेटी होती तो शायद बच जाती ,, जब भी यह खुशखबरी सुनती हूं कि मैं मां बनने वाली हूं तो लगता है अब शायद मेरी जिंदगी की एक नई शुरुआत हो जाएगी,,एक बच्चे के बिना जिंदगी कितनी अधूरी हो जाती हैं सिम्मी यह तुम नहीं समझ सकती...!"

तुम सही कह रही हो प्रज्ञा पर यह किसी के हाथ की बात नहीं है, एक बात कहूं अगर तुम्हें बुरी ना लगे तो....!

यही ना कि मुझे अब एक बच्चा गोद ले लेना चाहिए...!

हां पर तुम्हें कैसे पता...! सिम्मी ने धीरे से कहा...

सब मुझसे यही कहते हैं सिम्मी, पहले तो सिर्फ बाहरवाले कहते थे पर अब तो घरवाले भी...! (कहते-कहते प्रज्ञा रुक गई)

पर ये सही भी है ना प्रज्ञा.... सिम्मी ने कहा...!

"हां सिम्मी... पर तुम्हें पता है कि जब औरतें मुझे देखती है तो वो मुझसे मुंह फेर लेती हैं उन्हें लगता है कि मैं बांझ हूं,, वो मेरी नजरों से अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करती है कि कहीं उन्हें मेरी नजर न लग जाए,, बच्चा गोद ले लूंगी तो मां मैं बन ही जाऊंगी पर खुद को इस कलंक से तो नहीं बचा पाऊंगी ना और जब मैं मां बन सकती हूं तो....!"

"कैसा कलंक प्रज्ञा... किस जमाने की बातें कर रही हो तुम... ऐसे सोच कर तुम अपना ही नुकसान कर रही हो, यह सच है कि औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन होती है पर तुम ये तो सोचो कि तुम्हारा शरीर कमजोर हो चुका है और अगर तुमने ओर रिस्क लिया तो यह तुम्हारे लिए जानलेवा भी हो सकता है...!

जानती हूं सिम्मी कि तुम सही कह रही हो पर देखते हैं कि समय कहां लेकर जाता है,, प्रज्ञा ने गहरी सांस लेते हुए कहा...!

"आखिर शादी के 14 साल बाद प्रज्ञा अपने मजबूत इरादों के बल पर मां बन ही गई,, उसने एक प्यारी बेटी को जन्म दिया भगवान ने उसकी सुन ही ली,, जब पता चला कि वह मां बनने वाली है तभी से उसने डॉक्टर की सारी बातें मानी, अमित ने उसका पूरा साथ दिया, खुशी की गोद में लेने के बाद प्रज्ञा और अमित एक दूसरे को तसल्ली दे रहे थे कि उनका फैसला सही निकला और उन्हें उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफा मिल ही गया"।

"खुशी का जन्म प्रज्ञा और अमित के लिए जिंदगी की एक नई शुरुआत बन गया।"

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