नशा

नशें से बेशक कुछ पल हम दुनिया को भूल जाएं, धीरे- धीरे हमें ये जड़ों से ही खोखला कर जाएं।

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 30 Jan, 2021 | 1 min read
#1000poems

नशा कोई भी हो दीमक सा आपकी जड़ों को खोखला कर देता है । फिर इसे पुरूष करे या महिला अनुचित है । 

 इसे एक मेडिसिन की तरह प्रयोग करना ठीक है पर स्टेटस सिंबल या शौक के रूप में लेना अनुचित।

 स्टेटस की आड़ में महिलाओं-पुरुषों द्वारा इसे अपनाना न केवल उनके स्वास्थ्य वरन परिवार पर भी गहरा असर डालता है। हमारे आसपास क‌ई बुजुर्गों को भी हमने चाहे वह स्त्री हो या पुरुष नशा करते देखा है।

इसके स्थान पर हमें अपनी दिनचर्या में श्रेष्ठ पदार्थों का चयन करना चाहिए। नशे का अंधानुकरण न कर महिला हो या पुरुष खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए। 

नशा रहा कुछ की लत कुछ का शौक प्रधान,

जानते हुये कि छीन सकता है तुम्हारा सुख चैन।

नशें ने जाने कितने ही हर लिये लोगों के प्राण ,

पुरुष हो या हो महिला करता सिर्फ नुकसान।

नशें से बेशक कुछ पल हम दुनिया को भूल जाएं, धीरे- धीरे हमें ये जड़ों से ही खोखला कर जाएं।

स्टेटस दिखाने की आड़ में महिलाएं भी अपनायें,

ये आदत धीरे -धीरे तब्दील हो लत ही बन जायें।

नशा कोई भी हो ये सिर्फ पहुंचाये केवल नुकसान,

अच्छा हो हम दे श्रेष्ठ तत्त्वों को दिनचर्या में मान।

शिथिल करे काया को नहीं है किसी का शुभचिंतक,

घर की खुशियां छीने सारी दीमक सा है ये घातक।

नशा मुक्त कर देश को आओ मिलकर ले ये प्रण,

नशे का अंधानुकरण न कर रखेंगे खुद पर नियंत्रण।

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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