ब्लैंक कॉल वाली बहुरिया

कॉल से बहू बनने तक की कहानी

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Ekta Kashmire
Ekta Kashmire 08 Jun, 2020 | 1 min read

टेलीफोन की घंटी लगातार बज रही थी, पर जैसे ही अनु या उसकी मां फोन उठाती उधर से आवाज आनी बंद हो जाती। सुमित सो रहा था, बार-बार फोन की घंटी बजने से उसकी नींद में खलल हुआ तो उठ कर आया। "किसका फोन आ रहा है बार-बार?"

"पता नहीं भैया, हम उठाते हैं तो उधर से कोई नहीं बोलता और बंद हो जाता है।"

"आने दो अब, मैं देखता हूं उसको।"

इतने में फोन की घंटी घनघना उठी। अबकी बार सुमित ने फोन उठाया "कौन बोल रहा है बे? ब्लैंक कॉल कर कर के परेशान कर दिया है। अभी पुलिस कंप्लेंट कर दूंगा।"

उधर से पापा जी की आवाज आई

"तमीज में रहकर बात करो, तुम्हारा बाप बोल रहा हूं।"

"वो... पापाजी आप? दरअसल वो...." सुमित सकपका गया।

"तुम्हारी मम्मी से कहो शर्मा जी के यहां शाम को पूजा में जाना है, तैयार रहें।"

"जी पापाजी"

सुमित ने मां को पिताजी का संदेश दिया और वापस अपने कमरे में जा ही रहा था कि फोन की घंटी फिर बज उठी| अबकी बार सुमित ने डरते डरते फोन उठाया।

"कौन?"

"सुमित जी बात कर रहे हैं?" उधर से मीठी सी आवाज आई।

एक तो किसी लड़की की मीठी सी आवाज और उस पर अपने नाम के आगे "जी" का संबोधन सुन सुमित सन्न रह गया। बड़ी मुश्किल से प्रत्युत्तर में बोला- "हां जी..... सुमित ही बात कर रहा हूं आप कौन?"

"जी मैं गार्गी, जिस दिन हम इस कॉलोनी में शिफ्ट हुए थे आपने हमारी मदद की थी।"

"ओह अच्छा! बताइए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं, कोई जरूरत है तो बेहिचक कहिएगा?"

"जी धन्यवाद, मैंने यह कहने के लिए फोन किया था कि आज हमारे यहां पूजा और रात्रि भोजन है, आपको सपरिवार आमंत्रित किया है तो कृपया आप भी आइएगा।"

"हां मैं जरूर आऊंगा, धन्यवाद"|

कह कर सुमित ने फोन रख दिया।

सुमित की आंखों के आगे उस दिन का वाकया आ गया जब वह ऑफिस से घर आ रहा था और शर्मा अंकल उस कॉलोनी में शिफ्ट हो रहे थे| जो उनके ही समाज के थे एवं उसके पापा के पहचान वाले भी थे। सुमित ने सामान उतरवाने और लगवाने में उनकी मदद की थी। मजदूर अंकल की बात सुन नहीं रहे थे सुमित ने फटकार लगाई तब उन्होंने सारा काम ठीक से किया।

लेकिन उनकी कोई बेटी भी है यह सुमित ने ध्यान नहीं दिया था।

खैर देखते हैं।

शाम को पिताजी आए तो अपनी मां और बहन के साथ सुमित भी तैयार था।

पिताजी ने कहा- "अरे वाह... आज तो साहबजादे भी तैयार हैं यूं तो किसी फंक्शन में जाना पसंद नहीं इन्हें... आज कैसे तैयार हो गए?"

"अरे आप रहने दीजिए बड़ी मुश्किल से तो कहीं जाने को तैयार हुआ है और फिर शर्मा जी तो हमारे ही समाज के हैं चार लोगों में जाएगा तभी तो लड़की वालों की नजरों में आएगा।"

"मां ऐसी कोई बात नहीं है...."

"ऐसी ही बात है भैया.."

कह कर उसकी बहन ने भाई को छेड़ा।

तीनों तैयार होकर जा पहुंचे शर्मा जी के घर। कई लोग आए हुए थे शर्मा जी ने नया बंगला बनवाया था। काफी मिलनसार व्यक्ति थे सो कई लोगों से उनका मेलजोल था।

दोनों परिवार आपस में मिले।

पर सुमित की नजरें गार्गी को ही ढूंढ रही थी इतने में एक खूबसूरत से लड़की पानी की ट्रे लेकर आई। जो सुमित के मन को भा गई।

"क्या यही गार्गी है?"

उसने सोचा।

पूजा के बाद खाना खाकर सारे रिश्तेदार चले गए।

लेकिन सुमित के पिताजी को शर्मा जी ने रोक कर रखा था कि थोड़ी देर और बैठिए, कुछ बातें करनी है। सुमित के पिता भी रुक गए क्योंकि चार घर छोड़कर ही उनका घर था जाने की कोई जल्दी ना थी।

अब शर्मा जी ने कहा - "भाई साहब हमारी एक ही बेटी है गार्गी। हमने उसे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं बस अब इच्छा है कि एक अच्छा सा लड़का देखकर इसकी शादी कर दें। हम इसके लिए इसी शहर में लड़का देख रहे हैं क्योंकि हम दोनों का यह इकलौता सहारा है हम चाहते हैं कि यह इसी शहर में रहे ताकि जरूरत पड़ने पर हमारी मदद कर सके।"

"यह तो बहुत अच्छी बात है।" सुमित के पिता बोले।

"आपका बेटा सुमित हमें बहुत संस्कारी लगा। क्या आप मेरी बेटी का रिश्ता स्वीकार करेंगे?"

सुमित के पिता तो मन ही मन उसे अपनी बहू के रूप में देख रहे थे। आखिर गार्गी थी ही इतनी सुंदर और प्यारी।

सुमित और गार्गी को मिलवाया गया।दोनों में आंखों ही आंखों में प्यार तो हो ही चुका था।एक दूसरे की पसंद नापसंद जानने के बाद दोनों ने हां कर दी और दो महीने बाद उनकी शादी हो गई।

सुमित की मां आज भी मजाक में कभी-कभी अपनी बहू को "ब्लैंक कॉल वाली बहुरिया" कह कर छेड़ती है।

स्वरचित एवम् मौलिक

एकता कश्मीरे

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Ekta Kashmire

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