लाड़की वऊ

जब बहू ने निभाया बेटे का फ़र्ज़

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Ekta Kashmire
Ekta Kashmire 29 Jun, 2020 | 1 min read

ससरा जी की बाईपास सर्जरी हुई थी।

अंजलि नऽआई नऽ नऽ सब समाळई लियो।घर भायरऽ का काम करनु,ससरा जी खऽ टेम टेम सी दवई गोळई नऽदेणु सब छोरा सरी को समाळ्यो।

अंवं टांका कटनऽ वाळा दिन ससराजी नऽ कयो -"म्हारा भतीजा खऽ फोन करी देओ।"

"भाईजी चलां?"

 कई नऽनऽ वैड़ी नऽ कार की चाबी  

ली नऽ सासु ससरा नऽ खऽ लई नऽ नऽ निकळई गई अस्पताल!

तीन चार दिन बाद भतीजो मिलनऽ आयो तो ओनऽ पूछ्यो कि - "काका आटो कर्यो थो काई?"

थारी भाभी लाईज,म्हारी वैड़ी नऽ छोरा को आव सारी दियो ....ऊज लाई हमखऽ कार मंऽ।

भतीजो देखतोज रह्ई गो।

अंजलि अंवंऽ ससरा जी की लाड़की वैड़ी बणी गई थी।

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