यादें

यादें

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Divya Gosain
Divya Gosain 28 Nov, 2022 | 1 min read

मां,

नम आंखों से लिखूं मैं तुझे ये बाती,

तेरी आहट की खनक अब भी हर कोने से है आती,


तेरी थपकी, तेरा लाड़, तेरा गुस्सा और तेरा सागर जैसा दुलार,

इस भीड़ भरी दुनिया में नहीं करता मां कोई तुझ सा प्यार,


मेरी हर ज़िद्द पर तेरा रूठना याद आता है,

आज बस ज़िक्र तेरा इन आंखों में एक सैलाब लाता है,


चुपके से आज भी रसोई में कहीं तुझे मैं खोजता हूं,

इन मुस्कराहटों के पीछे जाने कितनी बार मैं रोता हूं,


मां, तेरी महक से महकता था जो‌ आंगन,

तेरी यादों के किस्सों से भर आता है अब ये मन,


आज तेरे अस्तित्व को जब भी मैं खोजता हूं,

पापा के स्पर्श में तुझे अपने पास मैं पाता हूं,


उन तस्वीरों में अक्सर तुझे मैं ढूंढता हूं,

तेरे नाम आज भी मां मैं कई दफे ख़त लिखता हूं,


जी करता है फिर से उस बचपन में लौट जाऊं,

मां, हो गर मुमकिन तो तुझे फिर घर वापस मैं ले आऊं,


कल ज़मीं और आज जन्नत से मेहर बरसाती रहना,

इस ख़त के लिए तू ही अब डाकिया बन जाना।


दिव्या G

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Divya Gosain

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Amrita Swamy · 2 years ago last edited 2 years ago

    have tears after reading

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