गाँव

गांव

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 10 Mar, 2022 | 0 mins read
City Village Modernization Western culture Culture

जगह जगह खंगाल डाली

नहीं मिले वो गाँव मेरे

जहा बस्ते थे प्राण मेरे

वो गाँव जहां खेतो में फ़सल खडी थी

वहां आज कंक्रीट के जंगल खड़े


वो गाँव जहां:भंडार था संस्कृतियो का

वहा आज संस्कृतिया चार दिवारी में कैद हो गए

खोज राहा हूं गाँव मेरा जहा बस्ते थे प्राण मेरे

वह:जहां सब आपस मे बटते खुशी की फसल और दुख के आंसू

कहां गए वो गाँव मेरे

जहां बस्ते थे प्राण मेरे

गाँव को शहर बनाने की होडो मे

घुम हो गए गाँव मेरे

नगर महानगर बन गए गाव नगर बन गए

और अब. चले गाव ढूंढ ने

विकास की इस रहा में घुम हो गए गाँव मेरे


दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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