एक मंथरा ऐसी भी

मंथरा सिर्फ रामायण में ही नहीं थी।इस कलयुग में अब भी ना जाने कितनी मंथरा होंगी। इन से तो दूर रहने में ही भलाई है।

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Chetna Arora Prem
Chetna Arora Prem 22 Nov, 2020 | 1 min read

 

दोस्तों आज की मेरी कहानी ऐसी औरतों के बारे में है जो अपने घर में खुश रहे या ना रहे लेकिन दूसरों के घर आग लगाने में उन्हें बहुत ही मजा आता है वो इतनी पत्थर दिल होती हैं कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि जो काम वो कर रही हैं उससे किसी का घर भी बर्बाद हो सकता है। ऐसी औरतों से जितना हो सके दूर रहना चाहिए। तो आइए अब मैं शुरू करती हूं ये कहानी।

 

प्रिया बहुत ही प्यारी लड़की थी।उसकी शादी के 6 साल बाद उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। अब प्रिया को अपनी मां की बहुत याद आती थी और अपने पापा की भी बहुत चिंता रहती थी। कहने को तो प्रिया का एक भाई भी था लेकिन किसी कारणवश उसकी भाभी और मां में नहीं बनी तो उसके भाई भाभी अलग रहते थे। चूंकि अब मां की मौत के बाद प्रिया के पापा बिल्कुल अकेले हो गए थे तो प्रिया कोशिश करती कि महीने में एक बार ही सही वह अपने पापा से मिलने जाए। उसे अपने पापा की बहुत चिंता रहती थी मम्मी के जाने के बाद उसके पापा भी उसे थोड़े तनावग्रस्त लगते थे लेकिन एक बात अच्छी थी कि प्रिया के भाई के बच्चे अपने दादा के पास मिलने जरूर आते थे बच्चे बहुत बड़े नहीं थे। बेटा 3 साल का और बेटी 5 साल की थी। जब भी वो घर आते तो प्रिया के पापा का मन लग जाता है और वो बहुत खुश लगते।

इसी तरह प्रिया भी गर्मी की छुट्टियों में और सर्दी की छुट्टियों में अपने पापा के पास रहने चली जाती। प्रिया भी अपने भतीजा भतीजी से बहुत प्यार करती थी और वो भी अपनी बुआ को बहुत प्यार करते थे।

प्रिया जब अपने मायके होती तो वहां उनकी एक पड़ोसन थी नीलम। जो अपने पति और बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं रखती थी ना ही उसकी अपने किसी रिश्तेदारों से बनती थी।प्रिया जब भी मायके आती तो वो अक्सर प्रिया से मिलने आती और प्रिया जब तक रहती तो नीलम कोशिश करती की वो रोज़ किसी ना किसी बहाने प्रिया से मिलती रहे। प्रिया उसे बहुत अच्छा समझती थी क्यूंकि नीलम हमेशा अपनी तारीफ़ करती की मैं इतनी अच्छी हूं पर मेरे ससुराल वाले ऐसे है वैसे है,वो अपनी ननद की भी बहुत बुराई करती।उसकी बातें सुन प्रिया को भी उससे हमदर्दी हो जाती।

वो अक्सर प्रिया की भाभी की भी बुराई करती और प्रिया को भी उकसाने कि कोशिश करती ताकि वो भी अपनी भाभी की बुराई करे लेकिन प्रिया चुप रहती।वो जानती थी कि अगर वो अपनी भाभी की बुराई करेगी तो हो सकता है नीलम उन्हें बता दे और इससे उसका और उसकी भाभी का रिश्ता सुधरने की बजाए बिगड़ सकता है।प्रिया की भाभी प्रिया से भी नाराज़ रहती थी तो उनकी बोल चाल भी बंद थी।

ऐसे ही एक दिन प्रिया अपने मायके आयी हुई थी तो उसके भतीजा भतीजी भी उससे मिलने अपने दादू के घर आए हुए थे।खाने का टाइम था तो प्रिया सबको खाना खिला रही थी प्रिया की बेटी और भतीजी ने तो खाना खा लिया लेकिन उसका भतीजा खाना खाने में आना कानी कर रहा था।वो जब से आया था उसने कुछ नहीं खाया था तो प्रिया उसकी फिक्र कर रही थी। प्रिया ने उसको खाना खिलाने का तरीका ढूंढा और वो उसे कहानी सुनाते हुए उसके मुंह में कोर डालने लगी। उसका भतीजा कभी इधर तो कभी उधर चला जाता कि तभी नीलम आयी और प्रिया को इस तरह खाना खिलाते हुए देखकर बोली,"तुम क्यूं उसके बच्चों के मुंह में ज़बरदस्ती रोटी डाल रही हो,उसने क्या कभी तुम्हारी बेटी को पूछा?तुम क्यूं उसके बच्चों के लिए फालतू में परेशान हो रही हो।"

ये सब सुनकर प्रिया को बहुत अजीब लगा और वो बोली,"नीलम दीदी आप ऐसा क्यूं बोल थी हो,ये क्या सिर्फ मेरी भाभी के बच्चे हैं मेरे कुछ नहीं लगते?ठीक है मेरी भाभी से मेरी बोलचाल नहीं है,तो क्या मैं उसकी दुश्मनी बच्चों से निकालूंगी।मेरी बेटी खाए और ये भूखे रहें।

दीदी ये मेरे भाई के बच्चे हैं।अगर इनकी जगह किसी और के बच्चे भी तो मैं उनको भी भूखा नहीं रखती।"

ये सुन नीलम सकपका गई और बात बदलते हुए बोली,"नहीं मैं तो ये बोल रही थी कि इनको वैसे रोटी देदो लेकिन इतना लाड़ की इनके मुंह में रोटी डालना ठीक नहीं।"

ऐसे ही एक दिन नीलम आई तो प्रिया की भाभी के चरित्र को ले कर भी कुछ बोलने लगी।

कभी प्रिया से कहती अपने पति से छुपा कर अपना अलग पैसा रखो। इन आदमियों का भरोसा नहीं।

अब धीरे धीरे प्रिया उससे बचने लगी।

एक दिन तो नीलम ने हद ही करदी।प्रिया को समझाने लगी कि तुम इतने दिन मायके रहती हो तो कहीं तुम्हारे पति कहीं चक्कर ना चलालें।ये सुन प्रिया को बहुत गुस्सा आया और उसने उसी वक्त नीलम को उसकी ज़िन्दगी में दखल ना देने को बोला।

 

जब नीलम चली गई तो प्रिया के मायके में काम करने वाली रूपा कमरे में आती और बोली,"प्रिया दीदी मैंने सब सुन लिया है आपको पता है ये नीलम दीदी अच्छी औरत नहीं है।ये तो अपने पति को भी बहुत परेशान करती है उन पर शक करती है। जबकि उनके पति इतने अच्छे हैं सब जानते हैं।ये तो किसी को नहीं छोड़ती अपनी ननद और नंदोई के घर भी इसने शक का कीड़ा पैदा कर उनका झगड़ा करवा दिया था।इसका नंदोई टूर पर रहता है तो इसने अपनी ननद को जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि वो घर छोड़ अपनी मां के पास आ गई थी।

ये तो गुप्ता जी के बारे में भी उल्टा सीधा बोलती है।अब तो आस पड़ोस में सब इस औरत को समझ चुके हैं।अपने देवर पर छेड़खानी का आरोप लगाकर ही तो ये अपने सास- ससुर से अलग हो गई थी।आप इसकी बातों में मत आएं।लोग तो यहां तक कहते हैं कि इसको हर किसी पर शक करने की बीमारी है।दीदी माना की एक - दो इंसान बुरे हो सकते हैं पर सब तो नहीं।ये अपने अलावा किसी को भी अच्छा नहीं बताती।एक बात और आपकी भाभी जब यहां आपकी मम्मी के साथ रहती थी तब इसकी उसके साथ बहुत दोस्ती थी।मैंने तो अब भी कई बार दोनों को इकठ्ठा देखा है।इसको इधर की बात उधर करके बड़ा मज़ा आता है।दीदी मंथरा सिर्फ रामायण में ही नहीं थी।इस कलयुग में अब भी ना जाने कितनी मंथरा होंगी। इन से तो दूर रहने में ही भलाई है।

ये सब सुन प्रिया को बहुत हैरानी हुई और वो सोचने लगी कि वो इतनी भोली क्यूं है कि उसे इस औरत की सच्चाई ना पता लग सकी।

 

ये सब बातें प्रिया के पापा भी सुन चुके थे क्यूंकि कुछ देर पहले ही वो घर में आए थे।रात को प्रिया के पापा ने प्रिया को समझाया और कहा,"प्रिया मुझे पता है तुम बहुत समझदार हो।दामाद जी भी हीरा हैं।किसी की बातों में आकर कभी भी उन पर शक मत करना।तुम्हें पता है जबसे तुम्हारी मां की मृत्यु हुई है वो हर दूसरे दिन फोन करके मेरा हाल चाल लेते हैं।और तुम्हारे भाई रवि को भी समझाते हैं।बेटी कभी कभी तो आंखों देखा भी सच नहीं होता। जीवनसाथी को एक दूसरे से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता।

रही नीलम की बात तो इसने तो अपने पति की नाक में दम कर रखा है।ऑफिस से थोड़ा लेट हो जाए तो बहुत झगड़ा करती है।अब तो उसके बच्चे भी बड़े हो रहे हैं उन्हें भी अपनी मम्मी के बर्ताव से शर्म आने लगी है।

और सच कह रही है रूपा ये तो तेरी भाभी को भी सिखाती थी कि अपने बच्चों को क्यूं भेजती है दादा के घर,तेरे बच्चे बिगड़ जायेंगें। तुझसे ज्यादा दादा को प्यार करने लगेंगे।तुम्हारे ससुर बच्चों को तुम्हारे खिलाफ कर देंगें वगैरा वगैरा।पर जब रवि को जब ये सब पता चला तो उसने तुम्हारी भाभी को इसके साथ दोस्ती रखने से मना कर दिया।लेकिन फिर भी ये चोरी छुपे उससे बात करती है शायद।तुम इसको अपने घर की बातें या अपनी भाभी के बारे में कभी कुछ मत कहना,ये उसे बता देगी।

 

ये सुन प्रिया भी बोली,"पापा आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।मुझे अपने पति पर पूरा विश्वास है।मुझे नहीं पता था कि ये औरत ऐसी है।अगर मुझे पहले पता होता तो मैं इससे कभी बात ही ना करती।

वैसे भाभी के बारे में मैंने इसे कभी कुछ नहीं बोला।"

 

प्रिया के पापा ने रवि को भी सारी बात बताई कि कैसे नीलम उसकी पत्नी को भी चरित्रहीन कह रही थी।उन्होंने उसे कहा कि अपनी पत्नी को जरूर बताना कि ऐसी औरतें जो दूसरों की बुराई उससे करती हैं तो उसकी बुराई भी दूसरों के आगे करती हैं और तो और किसी के चरित्र पर उंगली उठाना बहुत गलत है।उसे भी ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए और बेटा कल तुम मेरे साथ चलना नीलम ने हमारी बहू पर जो लालछन लगाया है उसकी सजा तो उसे देनी ही पड़ेगी।हम सभी पड़ोसियों को नीलम को यहां से निकालने के लिए कहेंगे क्यूंकि ये जब तक यहां रहेगी किसी ना किसी के घर झगड़े करवाती रहेगी।

जब ये सब रवि ने अपनी पत्नी को बताया तो उसे बहुत दुख हुआ।उसे समझ आ गया था कि वो औरत किसी को भी बदनाम कर सकती है।उसने अपने पति को सारी बातें बताई कि जब से उसकी शादी हुई है तभी से नीलम ने उसे हमेशा मांजी और प्रिया से डराया है कि वो ऐसी हैं वैसी है।वो बहुत बुरी सास व ननद हैं और मैं हमेशा उसकी बातों में आती रही।छोटी छोटी बातों को मैंने दिल पर ले लिया।मांजी कभी किसी बात के लिए टोकती थी तो मैं उसे अपना अपमान समझती थी।मां भी तो अपने बच्चों को डांटती है रोक टोक करती हैं, मैं क्यूं इतनी निर्दयी हो गई।

प्रिया ने तो हमेशा मेरे साथ एक बहन जैसा व्यवहार रखना चाहा पर में ही उसके प्यार को पहचान ना पाई।मुझे माफ़ कर दीजिए।अब मुझे महसूस हुआ कि कितना बुरा लगता है जब कोई हम पर झूठे इल्ज़ाम लगता है। मैं मांजी,पिता जी और प्रिया की दोषी हूं। मैं पिता जी और प्रिया से माफ़ी मांगना चाहती हूं और पिता जी के साथ रहकर उनकी सेवा करना चाहती हूं।"

ये सुन रवि की आंखें भर आई उसने अपनी पत्नी को गले लगा लिया।अब उसे आने वाले कल की तलाश थी जब उसका 5 साल का बनवास खत्म होगा और आने वाली दिवाली सच में उनके लिए खुशहाली लाएगी।

इस दिवाली रवि के घर की खुशियां लौट आयी थी।

 

दोस्तों कहानी में तो अंत सुखद हो गया पर असल ज़िन्दगी में ऐसा हर घर में नहीं होता तो कृपया ध्यान रखिए व ऐसी औरतों से बचकर रहें।


 

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