Title Selection in the Creation Process – Challenges and Remedies

Published By Paperwiff

Sat, Jul 10, 2021 5:16 PM

रचना प्रक्रिया में शीर्षक चयन — चुनौतियाँ एवं उपाय

यदि आप किसी रचना को पढ़ते हैं, तो सबसे पहले आप जिससे परिचित होते हैं वह होता है उसका 'शीर्षक'। कहने का तात्पर्य यह है कि पाठक के मन में कहानी/कविता के प्रति पूर्वानुमान जैसे कि उत्सुकता या फिर उदासीनता, शीर्षक पर निर्भर होता है। यानी कि कहानी के सारे तत्वों की प्रधानता शीर्षक करता है। कल्पना कीजिए कहानी एक व्यक्ति है और हमसे अपनी बात कहना चाहता हो ऐसे में अपनी बात कहने से पहले अपनी मुखमुद्रा, वेशभूषा और देह- भाषा से अपना पहला प्रभाव छोड़ रहा है, ठीक यही काम कहानी के लिए उसका शीर्षक करता है।

आज के लेख में हम चर्चा करेंगे कि कहानी /कविता के लिए उपयुक्त शीर्षक चुनाव क्यों महत्वपूर्ण है? साथ ही शीर्षक चुनाव में किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और इससे निपटने के उपाय जानने की कोशिश करेंगे। वह कौन से जरूरी बिंदु है जिन्हें शीर्षक चुनाव के दौरान ध्यान में रखना चाहिए? 

कहानी का शीर्षक तय करना — चुनौती 

एक उपयुक्त 'शीर्षक' लिखना हर लेखक के लिए एक बड़ी चुनौती होता है। यहाँ दो तरह की स्थिति देखी जाती है। कुछ लेखक पहले पूरी रचना लिख डालते हैं फिर उससे सामंजस्य स्थापित करते हुए 'शीर्षक' को जन्म देते हैं।ऐसे में कई बार पहले विचार आते हैं और फिर हम उस विचार को विस्तार और आयाम देकर कहानी का स्वरूप बनाते हैं। इस दौरान मन में कोई एक 'पात्र' ,'घटना' या 'कथन' घूम फिर कर बार-बार सामने आ खड़ा होता है बस उसी से जन्म होता है उस कहानी के 'शीर्षक' का। ऐसा 'शीर्षक' पूरी कहानी का केंद्र बन उसे संतुलित करता है। हालांकि ये वाली शीर्षक चयन प्रक्रिया तनिक जटिल है। 

दूसरी प्रक्रिया वह है जहाँ 'शीर्षक' पहले से तय करने के पश्चात लेखक कहानी लिखते समय उसका ताना-बाना उस 'शीर्षक' के ही इर्द-गिर्द बुनता है, ठीक वैसे ही जैसे मकड़ी अपने शिकार को पकड़ते ही उसके चारों ओर तेजी से जाल बुनती है। एक शानदार कहानी के लिए 'शीर्षक' को भी इतना ही सुरक्षित रखना होता होता है ताकि कहानी पर उसका असर उतना ही अधिक गहरा हो। ये तरीका नए लेखकों में भी काफी लोकप्रिय है जैसे कि दिए गए प्राॅम्प्ट शीर्षक पर लिखना। 

कुल मिलाकर 'शीर्षक' तो किसी इत्र की शीशी के ढक्कन की तरह होना चाहिए कि ज़रा सा खुलते ही पूरे माहौल को अपनी महक से अपना परिचय दे जाए। हाँ अब इत्र की शीशी में इत्र होना भी चाहिए सिर्फ ढक्कन में नहीं। अर्थात इस चक्कर में कुछ लेखक ऐसे 'शीर्षक' चुनते हैं जिनका कहानी या कविता के विषय से कोई लेना देना ही नहीं होता। इन्हें लेखक केवल त्वरित आकर्षण हेतु लिख देते हैं और चंद लाईनें या दो चार पन्ने पढ़ते ही समझ आ जाता है कि 'शीर्षक' का कहानी से कोई संबंध नहीं है। ये पाठक पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अतः 'शीर्षक' को अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु लेखक को अधिक से अधिक अपनी कहानी की वास्तविकता से जुड़ना होगा। 

उपयुक्त शीर्षक चुनाव — कैसे करें? 

प्रसिद्ध लेखक हेमिंग्वे का मानना था कि शीर्षक में कुछ जादू सा होना चाहिए। अब सवाल ये है कि कहाँ से मिलेगा ऐसा जादुई शीर्षक? ये तय करेगी हमारी कहानी कि वो शीर्षक से कितना जुड़ी हुई महसूस करती है और उससे बाते करती हुई आगे बढ़ सकती है क्या? 

शीर्षक चुनने के आसान एवं प्रसिद्ध तरीके - 

1. शीर्षक तय करने के लिए केंद्रीय चरित्र (नायक/ नायिका) को ध्यान में रखा जाए या उनके नाम को ही शीर्षक के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। 

2. आपकी कहानी जिस स्थान के इर्द-गिर्द घूमती हो या उसके बारे में हो तो उस स्थान के नाम को भी शीर्षक के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। 

3. कोई ऐसी वस्तु जिसपर कहानी आधारित हो या कहानी की बुनावट उसपर निर्भर करती हो। जिससे नायक नायिका की वह भावना जुड़ी हो जहाँ से कहानी का उद्गम या अंत होता हो उसे भी शीर्षक के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। 

4. किसी महत्वपूर्ण घटना को भी शीर्षक का स्थान दिया जा सकता है जिसे पढ़कर पाठक को उसके बारे में और जानने की इच्छा जागृत हो। 

5. कहानी का संदेश क्या जाता है, उदाहरण स्वरुप अगर किसी विशेष प्रथा या उत्सव पर आधारित है तो उसे भी शीर्षक के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। 

6. कहानी में किसी एक यादगार वाक्यांश से प्रेरित शीर्षक भी चुन सकते हैं। यदि आपने एक मूल अभिव्यक्ति की कल्पना की है जिसकी कहानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका है और वह वाक्यांश किसी तत्व या मूल विषय पर पकड़ रखता है तो इसका उपयोग शीर्षक के तौर पर कर सकते हैं। 

7. यदि सही शीर्षक के चुनाव में फिर भी कठिनाई आ रही है जो एक शीर्षक चयन की प्रक्रिया को जड़ से समझे। आपकी अपनी लाइब्रेरी एक खजाना है और पढ़ना सबसे आसान उपाय। प्रसिद्ध कहानियाँ जिन्होंने गहरी छाप छोड़ी है उन्हें पढ़िए और सोचिए कि लेखक ने इसका शीर्षक कैसे तय किया है अर्थात कहानी का उसके शीर्षक से संबध आसानी से समझ आएगा। 

8. खुद को एक पाठक के तौर पर रखकर स्वयं से प्रेरणा लें। वो कौन से शीर्षक हैं जो आपको किसी कहानी को पढ़ने पर मजबूर करते हैं उन कहानियों को देखे और जाने कि शीर्षक कहाँ से उठाया गया है या तय किया गया है। 

कविताओं की बात करें तो उनके शीर्षक चयन की प्रक्रिया कहानी जितनी जटिल नहीं होती। मेरा मानना है कि कविताएं बड़े ही प्राकृतिक ढंग से प्रस्फुटित होती है जहाँ उसकी किसी भी एक पंक्ति को भी आप शीर्षक के तौर पर प्रयोग कर सकते है। उसके अलावा उपरोक्त सारे तरीके भी कविता के शीर्षक चयन पर समान रूप से लागू होते हैं। 

ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि शीर्षक की लम्बाई बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अधिकतम छह-सात शब्दों से ज्यादा बड़ा शीर्षक अपनी मारक क्षमता खो देता है। शीर्षक को एक झिलमिल घूंघट की तरह होना चाहिए जहाँ कुछ साफ दिखाई दे तो कुछ उत्सुकता बनी रहे। 

आशा है कि यह लेख आपकी शीर्षक चयन प्रक्रिया में कुछ सहायक होगा। जो लोग पारंगत है वे अपने विचार भी हमसे साझा कर सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग एक साथ सीख सकें, एकसाथ बढ़ सकें। पेपरविफ के साथ लिखते रहिए, पढ़ते रहिए। 

-सुषमा तिवारी