"बंदे मे था दम"

Published By Paperwiff

Thu, Oct 6, 2022 1:00 AM

"बंदे मे था दम"

 आज हम बात करने वाले है गांधी जी की लेकिन मुन्ना भाई की स्टाइल में। 1 सितम्बर 2006 में रिलीज़ की गई फ़िल्म लगे रहो मुन्ना भाई जिसने 4 IIFA अवार्ड्स, 4 फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स, 4 नेशनल अवार्ड्स के अलावा भी कई सारे अवार्ड्स को अपने डायलोग, अपनी अदायगी और कहानी के दम पर लूट लिया।

"बंदे में था दम वंदे मातरम्" ये गाना पूरी तरह से गांधी जी के लिए बनाया गया था लेकिन इस गाने में जो टास्क था वो ये था कि मुन्ना भाई के तरीके से इस गाने को कैसे लिखा जाए। इस गाने के लेखक 'स्वानंद किरकिरे' जी है।

स्वानंद किरकिरे जी का कहना था कि 'राजकुमार हिरानी' जो इस फ़िल्म के डायरेक्टर है उन्होंने मुझ पर एक बम डाला, "अहिंसक बम" ये बता कर कि गांधी जी के बारे मे गाना लिखना है और मुन्ना भाई की स्टाइल मे लिखना है। मुन्ना भाई की ज़बान एक दम अक्खड़ ज़बान थी लुच्चे-लफ़ंगो वाली इस भाषा में गांधी जी जैसे संत-सात्विक इंसान के लिए कुछ लिखना उनके लिए ये थोड़ा मुश्किल था।

उन्होंने फिर भी इस मुश्किल को बहुत खूबसूरती से अपनी कल्पनाओं के द्वारा और मुन्ना भाई के कैरेक्टर में घुस कर हल किया। स्वानंद जी ने मुबंई को पास से देखना शुरू किया, घंटों टपरी पर चाय पिया करते, मुबंई के इधर-उधर के खोपचों मे वक़्त बिताया करते ताकि मुन्ना भाई की तरह सोच सके उनके केरेक्टर को पकड़ सके।

"शांतनु मोइत्रा" ने जब धुन बनाई तो शुरुआत की धुन 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झाँकी हिन्दुस्तान की' से उठाई गई। इस गाने की पहली लाइन "अहिंसा परमो धरम-अहिंसा परमो धरम" होने वाली थी लेकिन गाने मे वो बात नहीं बन रही थी जो मुन्ना भाई के केरेक्टर को झलकाऐ। फिर किसी ने कहा की गांधी जी में बहुत दम था तो लाइन बनी "उनमें बहुत था दम वंदे मातरम्" लेकिन ये लाइन भी सभी को कहीं न कहीं खटक रही थी। फिर उन्हें एक और रेफ़रेन्स दिया गया अक़्स फ़िल्म का गाना 'बंदा ये बिंदास है'। तो उनके दिमाग़ मे आया कि मुन्ना भाई इसी तरह सोचेगा कि बंंदा बिंदास था और उसमे दम भी था। तो सब मिला जुला कर एक लाइन आई 'बंदे मे था दम वंदे मातरम्'। सबने खुश होकर तालिया बजाई के अगर मुन्ना भाई कहेगा तो ऐसे ही कहेगा।

आगे की धुन शांतनु मोइत्रा ने बदली और गांधी जी के डिस्क्रिप्शन के साथ पूरा गाना लिखा गया। एक लाइन के क्रैक हो जाने से बाकी गाना आसानी से तो नहीं कह सकते पर कम मुश्किल के साथ लिखा गया। इस गाने के कई अंतरे लिखे और हटाए गए मगर आप गौर से पूरी मूवी देखेंगे तो जानेंगे कि मूवी के बीच-बीच में इसके अलग अलग अंतरे बैकग्राउंड में चलाए गए हैं। यानी लिखा गया कुछ भी कभी वेस्ट नहीं होता कहीं न कहीं काम आ ही जाता है।

-फ़िरदौस (Paperwiff)