Overthinking : “To think too much is a disease.”

Published By Paperwiff

Mon, Jan 23, 2023 10:09 AM

ओवरथिकिंग

कई दफ़ा ऐसा होता है कि हम अपने ख़यालों पर ज्यादा तवज्जों नहीं दे पातें हैं और इसी के चलते हम कुछ भी काम करें, हमारे ज़हन में कुछ न कुछ ऊल जलूल घूमता ही रहता है। हमारा ध्यान अपने काम पर नहीं होता वो तो बस हम कर रहें होते हैं दिमागी तौर से हम कहीं और ही होतें हैं।

कई बार हम किसी से इतने ख़फ़ा हो जातें हैं कि सामने वाले ने कुछ न भी किया हो तो भी उन हालातों को दिमाग में बिठा कर सोचने लगतें हैं कि जब फ़लाँ शख़्स ऐसा कहेगा तो हम ये कहेंगें यानी जो "सिचुएशन" मौजूद ही नहीं है हम उसे भी सोच कर अपना 'मूड' खराब कर लेते हैं। यहीं अलामत हैं ज्यादा सोचने के जिसे हम आसान लफ़्ज़ों में आजकल "ओवरथिकिंग" के नाम से जानते हैं।

चलिये कुछ आसान 'टिप्स' जानतें हैं जिससे हम ओवरथिकिंग से बच सकतें हैं।

1. हमेशा सोचकर सोचों - अगर आपको ये ख़याल आ जाए कि आप बेमतलब की बातों को सोच रहें हैं तो खुद को कहें "स्टोप" और ध्यान रखें अपने ख़यालों का कि आप कोई फ़ुज़ूल बात तो नहीं सोच रहें। अपने ख़यालों को छाटों और देखो आप ऐसी कोई बात तो नहीं सोच रहे जो सच नहीं या आप ऐसा तो नहीं सोच रहें कि "ऐसा होता तो"? खुद से सवाल करिए कि इस बात को सोचकर कोई फ़ायदा है ? अगर जवाब न में मिलें तो फ़ौरन अपने आपको किसी काम में मसरूफ़ कर लिजिये।

2. अपने काम पर ध्यान दीजिए - आप जब भी कोई काम करें चाहे वो छोटे से छोटा काम हो या बड़े से बड़ा हमेशा अपना ध्यान अपने काम पर रखिये उस काम के बीच कुछ और मत सोचिए। जैसे आप अगर पानी भी पी रहें हैं तो ध्यान पानी को पीने में लगाईये। देखिये कि वो साफ़ है या नहीं धीरे-धीरे पानी को महसूस करते हुए पीजीए। पानी का पूरा आनंद लीजिये। अपना खाना दिन में एक बार अकेले सुक़ून से खाईये, चम्मच के बिना हाथों से महसूस करते हुए खाने का मज़ा लेते हुए। ऐसा रोज़ाना करने से आप ओवरथिकिंग से निजात पा लेंगें।

3. रिवर्स अफ़र्म - मेडिटेशन उन लोगों को ज्यादा मुश्किल लगता हैं, जिन्हें ज्यादा सोचने की आदत हैं। वो लोग 5 मिनट के लिये भी एक जगह बैठ कर अपने ख़यालों को रोक नहीं पाते। उन लोगो के लिये ये ख़ास 'टिप'। हमेशा जब भी कुछ बुरा सोचें तो उसको "रिवर्स अफ़र्म" करें। जैसे अगर आप सोच रहें है कि आपका बच्चा कहीं एग्ज़ाम में फ़ेल न हो जाए तो खुद को रोक कर इसका उल्टा खुद से 5 बार कहें कि इस एग्ज़ाम में वो पास है। थोड़ा अजीब ज़रूर है लेकिन यक़ीन किजीये आपकी 'निगेटिव' सोचने की आदत धीरे-धीरे बदल जाएगी।

4.सोचने से ज्यादा करो - किसी भी काम के बारे में सोचते रहने से अच्छा है कि उसे करना चालू करो। हाँ! प्लान बनाना अच्छी बात है मगर किसी काम के बारे मे दो बार से ज्यादा सोचना वक़्त की बरबादी है। आप करके देखो सोच के वक़्त बरबाद न करो।

5. लिखिये और पढ़िये - अगर आप लिख सकते है तो ज़रूर लिखिये आज क्या-क्या काम करना है लिखिये। रात को सोने से पहले देखिये क्या-क्या पूरा कर पाऐ और कुछ रह जाए तो उसमें वजह लिखिये की क्यों नहीं कर पाऐ। सुबह-सुबह कोई भी किताब पढिये। किताबें ज़हन के लिये खाना है जो भी आप सुबह-सुबह खिलाएंगे दिमाग को उसी तरह के ख़याल आपको दिन भर आएंगे। कहीं खाली बैठे है तो फ़ोन चलाने के बजाय आस पास जो भी दिखे पढिये चाहे वो 'न्यूस पेपर' हो कोई 'पम्फलेट' हो या कोई 'बोर्ड'। आपको फ़ुज़ूल ख़याल भी नहीं आएगें और याद रखने की सलाहियत बढ़ेगी

--फ़िरदौस (Paperwiff)