शीर्षक: पेरेंट्स को परफेक्ट होने की जरूरत नहीं!

Published By Paperwiff

Thu, Aug 11, 2022 8:08 PM

आजकल जिंदगी इतनी व्यस्त हो चुकी है कि माता-पिता अपने बच्चों को चाह कर भी एक अच्छा, खुशनुमा और प्यार भरा माहौल नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण बच्चे के पास सभी प्रकार की सुख सुविधाएं होते हुए भी एक खालीपन सा महसूस करते हैं। आजकल की महंगाई भरी जिंदगी में रोज एक नई चुनौतियों का सामना करने के लिए माता-पिता दोनों को घर चलाने के लिए काम करना पड़ता है। पर एक बच्चे को इन सब से कोई मतलब नहीं होता है। वह बस अपने माता-पिता के साथ समय बिताना और उनका प्यार पाना चाहता है। किंतु जरूरत के समय माता-पिता का साथ ना होने से बच्चे के मन में कई प्रकार के विकार पनपने लगते है। बच्चा चिड़चिड़ा, गुस्सैल और उदंड भी होने लगते हैं। आज हम अपने ब्लॉग में बता रहे हैं कि किस प्रकार हम अपने काम और बच्चों के बीच तालमेल बैठाते हुए अपने बच्चों को सही परवरिश, देखभाल और अच्छा वातावरण दे सकतें है।

बच्चें के साथ समय बिताये: बच्चे की पहली जरूरत उसके माँ-बाप होते हैं इसलिए बहुत जरूरी हैं कि आप जब भी फ्री हो अपने बच्चें के साथ वक़्त गुजारे। बच्चे के लिए लोरी गाइए, उनके साथ दौड़ लगाइए और उन्हें पार्क लेकर जाइए, अपने बच्चे के साथ खिलखिलाइए। भावनाओं के उतार-चढ़ाव में बच्चों के साथ रहिए। आप चाहे तो अपने या बच्चे की हॉबी पूरा करने में समय दे सकतें है। यह छोटी छोटी बातें आप और आपके बच्चें के बीच अच्छे कनेक्शन का निर्माण करती हैं, साथ ही वे बच्चे के मन में आपकी यादों को भी बनाती हैं जो आपका बच्चा जीवन भर अपने मन में लिए रहता है।

बच्चें की तुलना दुसरो से न करें: बच्चे को कभी भी दूसरे बच्चे से किसी भी प्रकार की तुलना न करें। चाहे वह तुलना पढ़ाई के क्षेत्र में हो खेलकूद, रंग-रुप या सुंदरता। विशेषकर माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के खुद के भाई-बहन से तुलना कदापि ना करें। ऐसा करने से उनके मन में दूसरे बच्चे अथवा अपने ही भाई-बहन के प्रति नफरत तथा हीन भावना का जन्म होने लगता है।

बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा: बच्चे जब धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं तो उन्हें उनकी उम्र के अनुसार छोटे-छोटे कार्य करने दे। धीरे-धीरे उनमें खुद से काम करने का आत्मविश्वास बढ़ने लगता है। आत्म विश्वास बढ़ने से वे चीजों को खुद से करने की कोशिश करते हैं और आत्मनिर्भर बनते हैं।

रोक-टोक न करें: बच्चे को जरूरत से ज्यादा रोक-टोक ना करें। ज्यादा रोक-टोक करने से बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है। जिसके कारण वे छोटे से छोटे काम को करने में भी डरने लगते हैं। बच्चे बेवजह सोचने बैठ जाते हैं कि कहीं इस काम को करने में मम्मी-पापा या घर के बड़े गुस्सा ना हो जाए। जब तक किसी भी काम को करने से बच्चें को शारीरिक कष्ट न हो, उसे रोक-टोक न करें।

कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित करें: बच्चों के द्वारा खुद के कोशिश से किए गए अच्छे काम को कभी भी कम आंकने की गलती ना करें। उन्हें हमेशा इसके लिए प्रोत्साहित करें। अगर वे करेंगे ही नहीं तो सीखेंगे कैसे? उन्हें खुद समझने दे कि क्या करने से उन्हें नुकसान हो सकता हैं और क्या करने से नही। उन्हें प्रैक्टिकल होना सिखाये। संभव हो तो और अधिक अच्छा करने में उनकी मदद करें।

बच्चें के लिए रोल मॉडल बनें: बच्चें वही करते है जो वो देखते हैं, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी उम्मीद पर खरा उतरें और एक अच्छा इंसान बने तो बेहद जरूरी है कि आप भी एक अच्छे इंसान हो। बच्चों के लिए आप खुद ही एक अच्छा रोल मॉडल बन सकते है। उन्हें केवल ये ना बताएं कि आप उनसे क्या कराना चाहते हैं बल्कि उन्हें खुद करके दिखाएं।

 हिंसा न करें: हम अक्सर देखते है कि माता-पिता कभी-कभी बच्चे से बात मनवाने के लिए उनकी पिटाई भी कर देते हैं। हालांकि, इस गलत तरीके से आप बच्चे को सही चीजें नहीं सिखा पाएंगे। इससे बच्चे केवल बाहरी चीजों से डरना सीखेंगे। ऐसे में बच्चा सजा से बचने के लिए या पकड़े जाने से बचने की कोशिश करने लगेगें। बच्चे के साथ मारपीट करने से उनके मन में यह बात स्थापित हो जाएगी कि पेरेंट्स हिंसात्मक तरीका अपना सकते हैं। जो बच्चे मारपीट और पिटाई का शिकार होते हैं उनमे दूसरे बच्चों के साथ लड़ाई की संभावना अधिक होती है। वे विवादों को सुलझाने के लिए बदमाशी, गाली-गलौज, शारीरिक आक्रामकता का उपयोग करने लगते हैं। इसलिए बच्चे के आसपास अच्छा वातावरण बनाएं और उनके सामने हिंसा का प्रयोग न करें।

 बच्चें का दोस्त बनें: बेशक पेरेंट्स और बच्चें की उम्र में बहुत अंतर होता है और आमतौर पर यह धारणा है कि दोस्त सिर्फ हमउम्र ही हो सकता हैं। बावजूद आप अपने बच्चें के दोस्त बन सकते है। आपके बच्चें को आप से बेहदर कोई नही समझ सकता। अगर आप उसे यह महसूस करवाएं की आप हर परिस्थितियों में उनके साथ है और वह अपने मन की बात आपसे शेयर कर सकता है तो आपका रिश्ता और भी गहरा हो सकता है।

एक अच्छे पेरेंट्स को परफेक्ट होने की जरूरत नहीं होती है। अगर हर कोई परफेक्शन के पीछे भागेंगा तो जीवन की छोटी छोटी खुशियों से भी वंचित रह जायेगा। कोई भी परफेक्ट नहीं होता है, इस बात को ध्यान में रखना बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आप भी पेरेंटिंग से जुड़ा कोई भी अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो social@paperwiff.com पर मेल कर सकते हैं।

 धन्यवाद।

बबिता कुशवाहा (पेपरविफ़ टीम)ो