हर पल यहाँ जी भर जिओ

हर पल यहाँ जी भर जिओ

Originally published in hi
Reactions 0
661
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 22 Nov, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

एक सी शुष्क लय ओर धीमी रफ़्तार में जो कट जाए ज़िंदगी तो मजा ही क्या है, आड़े-टेढ़े उतार- चढ़ाव पर ढ़लती, फ़िसलती, पड़ती, जुझती ज़िंदगी का मजा ही कुछ ओर है। 

ज़िंदगी एक दिपदिपाता इन्द्रधनुषी आलोक है क्यूँ ना ज़िंदगी के सारे रंगों का लुत्फ़ उठाया जाएँ।

सरल सहज संगमरमर सी स्मूद बिना कोई किस्से कहानियों वाली ज़िंदगी से इंसान थक जाता है, बोर हो जाता है जिनको कहने लिखने के लिए अपने अहसास नहीं होते, स्मृतियाँ नहीं होती उसकी बस कट रही होती है, ज़िंदगी में साँसे भरता है संघर्ष, ओर जीने का हौसला देती है चुनौतियाँ।

जब इंसान पहली बार रोता है तब से लेकर उसकी आँखें बंद होने पर लोग रोते है तब तक का एक सफ़र होता है अगर ये सफ़र मीठे रसगुल्ले सा रहा तो बैठे रहेंगे हम जो जितना है उस में संतोष मानकर।

"बियर वाला हल्का नहीं व्हिस्की वाला गहरा नशा होना चाहिए ज़िंदगी को मुट्ठी में करने का"

ख़्वाहिशों की रत्नमंजूषा लेकर जिओ ज़िंदगी के मेले में अपनी एक खास जगह बनाओ, हर अधूरप को पूर्णता में बदलने के लिए मेहनत की चाबी काफ़ी है, एक उद्देश्य होना चाहिए, कोई लक्ष्य होना चाहिए परिणाम महेत्व नहीं रखता हमने कितना रिस्क उठाया ये मायने रखता है, 

छोटी सी सफ़लता पर इतराते खुद को सफ़ल समझ लेना समझदारी नहीं अगर सच में आसमान को छूना है तो चलते रहो, दौड़ते रहो, लड़ते रहो हर पड़ाव को परवाज़ में भरते..!

हो सकता है थकान लगे, निराशा जन्में, बहुत सारे प्रयत्न असफ़ल भी रहे, टांग खिंचने वालों की कमी नहीं वो भी आपकी राहों में रोड़ा बनें पर मंज़िल की परिधि तय करके उसी क्षितिज पर अड़ग रह कर बने रहो,बस आपको पता होना चाहिए आपको क्या पाना है.!

ओर जो पाना है वो श्रेष्ठ है, सत्य है, योग्य है इतना आत्मविश्वास होना चाहिए।

कुछ मतलब कुछ भी नामुमकिन नहीं, कड़ी मेहनत का कोई पर्याय नहीं बुलंद हौसले को जीतने का मिज़ाज दो हर फ़तेह कदम चूमेगी, क्यूँ बेरंग सी फ़िकी चाय सी ज़िंदगी जीनी है आने वाली नस्लों को पढ़ने के लिए एक ख़ुमारी भरी दास्तान लिख कर सफ़र को खत्म करें उसे ज़िंदगी कहते है।

प्रामाणिक, बोल्ड ओर ज़िंदादिल बनकर नग्में सी गुनगुनाते ज़िंदगी को सहज बनाना चाहिए, ज़िंदगी हमें बहुत कुछ देती है खुशियाँ, गम, अनुभव, आँसू, पीड़ा, अफ़सोस, ओर नासूर से खून टपकते घाव इन सबको अपने संतान समझकर अपना लो मजबूर कर दो ज़िंदगी को इतना की ज़िंदगी खुद आपको जिए।

चटपटे चाट सी अर्थसभर ज़िंदगी जिओ वरना बेमतलब सी गुमनाम ज़िंदगी जीने का अर्थ ही क्या है ज़िंदगी की दावत पर जन्म ले ही लिया है तो क्यूँ ना उसके हर जायके की लज़्जत ली जाएं।।

(भावना ठाकर, बेंगलोर)

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.