उम्मीद की धूप

उम्मीद की धूप

Originally published in hi
Reactions 0
441
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 19 Dec, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj



(उम्मीद की धूप बसती है आसमान में)

एक उदास शाम को दरिया की ठंड़ी रेत पर चलते मैं अपने ही खयालों से खेलती उलझती चली जा रही थी जो हासिल नहीं था उसकी तलाश में। 

पर सामने से उजाले की आस में तड़पते कई किरदार यादों-वादों से लिपटे रिश्तों की कड़ीयों को ढूँढते मेरे काँधे को छूते टकराते गुज़र रहे थे।

दूसरी ओर से नारियों का एक मजमा मेरी ओर घंसा चला आ रहा था दिल के खालीपन और संवेदना को ढूँढता। अपने वजूद को हर शै में तलाशता। 

पर एक छुईमुई कच्ची कली सी कुमारी ज़रा ज़ोर से टकराई खुद को बचाती, आँखों में ख़ौफ़ लिए छुपती-छुपाती पूरी ढ़की फिर भी सकुचाती।

तो वृद्धों का बड़ा समूह आँखों में अकेले पन की टशर छुपाता उपहास से त्रस्त मेरी आँखों की पुतलियों में आँसू बनकर ठहर गया।

मेरी आँखों ने एक और भयंकर मंज़र देखा यौवन की दहलीज़ पर खड़े खुद से हारे अवसाद के मारे कई युवक इधर- उधर खुदखुशी के ज़रिए ढूँढते नम नैंनो से भागते आ रहे थे।

एसा लग रहा था सबके हाथ मेरी ओर एक उम्मीद की धूप को तरसते उठ रहे थे एक पल को मैं सहम गई क्या मैं दे पाऊँगी इनको उम्मीद की धूप का हल्का सा साया जबकि मैं खुद भीतर से खाली खुद में खुद की खुशियाँ तलाशती भटक रही हूँ 

पर एक तसल्ली हुई ना मैं अकेली नहीं थी जो ज़िंदगी से मिली सहुलियत में जो हासिल नहीं उस कमी की तलाश में भटक रही थी मैं भी आम इंसान की दौड़ का हिस्सा थी।

एक पीड़ को महसूस करते श्रद्धा से आँखें मूँदे और ईश्वर से बाँध लिया उम्मीद का धागा।

"मैंने सबके लिए दुआ मांगने आसमान की ओर देखकर अपने हाथ उठा दिए"


मेरे आसपास फिर कई हाथों की परछाई देखी एक बादल टूटकर बरसा और अपने लिए कुछ भी नहीं मांगा फिर भी मेरा दामन नेमतों से भर गया। क्यूँकी उम्मीद की धूप बसती है आसमान में।।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

**************************

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.