हौसला हो तो हालात बदलते है

हौसला हो तो हालात बदलते है

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 06 Oct, 2021 | 1 min read
Prem Bajaj

"हौसला हो तो हालात बदलते है"

थोपी गई विचारधारा का खंडन होता है जब सुजबुझ की प्रत्यंचा से तब क्रांति का आगाज़ होता है...

 

नाशूर बना खामोश उत्पिड़न जब गवाह बनकर चिल्लाता है तब क्रूरता का हनन अवश्य होता है...

 

विद्रोह की बू आती है जब एक नारी के प्रतिभाव से तब एक आँधी उठती है ज़लज़ले आते है... 

 

चुप्पी ओढ़े सोई कमज़ोरी के तन से जब आक्रोश की ध्वनि उठती है तब डावांडोल होते दरिंदों के पैरों तले से ज़मीन खिसकती है...

 

हकाधिकार पाने दौड़ते भागते थकी नारी का ज़मीर जागते ही एकाधिकार का पुलिन्दा धरातल होते ढ़ह जाता है...

 

यज्ञ होते ही अनुष्ठान का धुआँ आँखें जलाता है, हिम्मत के समिध जुटा ज़रा विद्रोह के घी की अँजुरी से आज़ादी को आह्वान तो दे...

 

खुद के भीतर पैदा करो बगावत का बवंडर और फेंक आओ अपनी लाचारी को तड़ीपार करते दूसरी दुनिया में आततायियों का सामना करो बदलेंगे अपने आप ये हालात...

 

लाठी उठा प्रतिघात तो कर, जाया नहीं जाएगा तेरे हौसलों का दे प्रमाण, सहने की आदी अबला ज़रा आगे तो बढ़, कभी-कभी सहरा में भी फूल खिलते देखे है...

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु) #भावु

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