समीक्षा ऑनलाइन वाले रिश्ते पर

ऑनलाइन वाला रिश्ता कितना सही।

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 06 Oct, 2020 | 1 min read

"एक समीक्षा ऑनलाइन वाले रिश्ते पर

प्यार, इश्क, मोहब्बत एसे स्पंदन है कब, कहाँ, कैसे किसके साथ जुड़ जाए हमें पता ही नहीं चलता। एहसास को एक प्यार और अपनेपन की पनाह चाहिए सराबोर छलकती झील सा दिल जहाँ मिलता है वहाँ ये एहसास डूबकी लगाते अंतर्ध्यान हो जाते है। 

माना कि सोशल मीडिया एक रिस्की माध्यम है यहाँ कोई किसीको ना ठीक से जानता है ना पहचानता है पर दुनिया में आज भी कहीं-कहीं सच्चाई और अच्छाई ज़िंदा है।

ज़िंदगी अनमोल हैं हर कोई हर एक पल को प्यार की आगोश में गुज़ारना चाहता है, जहाँ से प्यार मिले अपनी झोली में समेट लेना चाहता है। फिर चाहे परिवार से मिले, दोस्तों से, या मोबाइल के छोटे से मशीन की सतह के अंदर छुपे आभासी मित्रों से। जरूरी नहीं निजी ज़िंदगी से अतृप्त मन ही किसी और के प्रति ढ़लता हो कभी-कभी कोई सहृदय इंसान के प्रति सौहार्दपूर्णभाव से भी ढ़लता है।

बहुत आसान है कह देना कि ऑनलाइन वाला प्यार बस टाइमपास होता है ? अगर दो सही और सच्चे दिलों से बहते चाहत के झरने किसी मोड़ पर टकरा जाते है तब एक गहरे समुन्दर का रुप ले लेते है।

कभी-कभी एसा होता है जब साथ रहने वाले न समझ पाएं कि हम चाहते क्या हैं उनसे तब मन कोई कोना तलाशता है, तो कभी कोई अकेलेपन से उबरने के लिए एसे रिश्ते में बँधते है। या जब मुश्किल लगने लगे ज़िंदगी के भयावह सन्नाटों से उलझना तब मन चल पड़ता है किसी ऐसे रिश्ते की ओर जिसका कोई वजूद ही नही दुनिया की नज़रों में, और ढूँढ लेता है अपने मन का सुकून इस आभासी दुनिया के किसी ज़िंदादिल इंसान के भीतर।

बहुत मुश्किल है समाज में रहते हुए कोई ऐसा रिश्ता बनाना जो समाज स्वीकार न करता हो। तो कभी समाज की ख़ुशी के लिए दबानी भी पड़ती हैं अपनी चाहत क्योंकि नही कर सकते ना हम अपनी निजी जिंदगी में किसी अपने के साथ विश्वासघात। पर कभी भावनाओं पर जोर नहीं चलता तब बँध भी जाता है एसा रिश्ता।

पर इस आभासी दुनिया में भी बहुत लोगों को अपना सही जीवन साथी मिल जाता है। यहाँ मिल जाता है कोई ऐसा जिसे आपकी परवाह हो, आधा दिन भी ना दिखो तो बेचैन हो, जिसे फर्क पड़ता हो आपके खुश होने से या आँसू बहाने से। जहाँ सिर्फ शब्दों से महसूस कर लिया जाता है एक दूसरे की आत्मा को।जहाँ किसी के साथ दिल खोल कर हंसने का मन कर जाये, कभी मन भारी हो तो बस कुछ शब्दों से उसके आगे रो लिया जाएँ। और उन्ही शब्दों में लिपटा प्यार एहसास दिलाए आपको कि आप अकेले नही हो कोई है आपके साथ जो आपके मुस्कुराने की वजह बनना चाहता है। कोई है जो कुछ इमोजी के ज़रिये आपके और पास आना चाहता है, आपसे प्यार जताकर आपका हर सुख दुःख बाँटना चाहता है। कोई है जिसे सोचकर आप मुस्कुरा सकते हैं, कोई है जिसके कुछ शब्द आपकी आँखों में हया भरी मुस्कुराहट ले आते हैं। 

कभी उसकी अनदेखी दुआ आपकी ज़िंदगी में साँसे भर देती है। सिर्फ शब्दों से ही रुठना और मनाना भी प्यार की परिभाषा हो जाता है। न कभी देख सके एक दूसरे को, न छू पाने की चाह ना शरीर की लालसा। बस भावनाओं की डोर से बंध जाते है बिन कहे, बिन सुने बस यूँ ही अनजाना एक रिश्ता चलता रहता है सिर्फ़ कुछ शब्दों के ज़रिए।

पार्क में या होटल के रूम्स में मिलने वाला रिश्ता दैहिक आकर्षण का मोहताज होता है, पर आभासी रिश्ते में बंधे दो दिल जानते है किसी को कुछ मिलने वाला नही, कोई फायदा नही होना, बस महसूस करना है की कोई है मेरा अपना जो शिद्दत से मुझे चाहता है हर रिश्ते का अंत शादी हो जरूरी तो नही।

क्या बुराई है, ऑनलाइन वाला प्यार शाश्वत और नि:स्वार्थ होता है तन से परे सिर्फ मन का रिश्ता उतनी ही ख़ुशी देता है जितनी किसी के साथ असल में वक़्त गुज़ार कर मिलती है।

अलग होने पर दुःख भी उतना ही होता है टूट जाता है इंसान उतना ही जब दूसरा छोड़ कर चला जाता है। पर जिन्हें होता है उनके लिए बहुत खूबसूरत होता है ये ऑनलाइन वाला प्यार। अगर सही इंसान से हो तो जीवन में खुशियाँ भर जाता है।

पर अगर कहीं गलत तार जुड़ जाते है तब धोखा, फ़रेब और ठोकर भी मिलती है, यहाँ छलियों की कमी नहीं,सोशल मीडिया जितना फ़ायदेमंद है उससे ज़्यादा ख़तरनाक भी है अगर फूँक-फूँककर कदम नहीं रखोगे तो झूठे प्यार के जाल में फंसा कर बर्बाद करने वालों की कमी नहीं।

(भावना ठाकर,बेंगुलूरु) #भावु

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