भारत के हरेक सांसो में हैं श्रीराम

अदभूत है श्रीराम यहाँ के सांसो मे श्रीराम

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Ashutosh kumar  Jha
Ashutosh kumar Jha 09 Aug, 2020 | 1 min read


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    भारत की एकता संप्रभूता और आस्था को एक नई गाथा अयोध्या नगरी में लिखी गयी जब भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण कार्य की नींव देश के प्रधानमंत्री द्वारा रखी गयी। यह सदी के महानतम कार्यो में से एक है ।कई सदियों के संघर्षो का इतिहास समेटे हुए यह खड़ा होने को उत्सुक है।एक अदभूत नजारा देखने को मिला जब आस्था में पूरा भारतवर्ष राममय नजर आ रहा था।अदभूत और मनोरम है यह दृश्य जिसको हमारी न्यायपालिका ने यह गौरव हासिल करने का सौभाग्य तमाम सबूतो और साक्ष्यों के आधार पर देकर करोडो भक्तों का मान बढ़ाया है।आज पूरा भारतवर्ष खुश है ।हर कोई इस सदी के इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता था।भारत ही नहीं कई देशों में भी इसका सीधा प्रसारण हुआ।


जिनके हृदय श्रीराम वसै 

तिन और का नाम लियो न लियो।।

यह पंक्ति हमारे अराध्य की महत्ता को दर्शाता है। दो अक्षर का यह नाम पूरे ब्रह्माण्ड पर भारी है।इनके नाम लेने मात्र से ही व्यक्ति का मोक्ष है।यहाँ तक परमपिता परमेश्वर शिव भी इनके नाम का जप करते हैं।जीवन की सत्यता का सार हैं राम नाम, मोक्ष का द्वार है राम नाम, सभी कष्टो के निवारण इन्हीं नामो में निहित है। ऐसे मर्यादा पुरूषोत्तम के मंदिर निर्माण के अवसर पर हर भारतवासी उनके भक्ति में नहाकर अपने गौरवशाली इतिहास को चार चाँद लगा रहा था ।


पौराणिक कथानुसार अयोध्या के प्रतापी राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी,इसलिए उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से संतान प्राप्ति का मार्ग पुछा।ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाने को कहा।अतः राजा दशरथ ने महर्षि ऋष्यस्रिंग को यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया। यज्ञ पूरा होने के कुछ समय बाद उन्हें श्रीराम के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई।

  वेद पुराण और धार्मिक ग्रंथो और हिन्दू कलेंडर के अनुसार प्रभू श्री राम को भगवान् विष्णु जी की 10वीं अवतारों में से 7वां अवतार माना गया है। इसलिए उनसे जुड़ी हर शुभ दिन पर प्रतिवर्ष भारत के कोने कोने में उत्सव मनाया जाता है।इनका जन्मदिन दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष नौंवी के दिन को मानाया जाता है। 


इसके प्रति अपार आस्था को लोग अपने भक्ति के जरिये उजागर करते रहते है। घरों में भगवान् श्री राम की अराधना करते हैं और अपने परिवार और जीवन की सुख-शांति और समृद्धि की कामना भी। पूरे देश में लोग मर्यादा पुरूषोत्तम की लीलाओ का बखान करते हैं उनके प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास के साथ लोग इनकी भजन कीर्तन गाते रहते है।

 

 इतने मंदिरों के वावजूद इनके मंदिरों  लोगो की लंबी लंबी कतारे देखने को मिलती है सभी लोग प्रभू श्री राम का दर्शन मंदिरो में करने को उत्सुक हो जाते है।भक्त रामचरितमानस का अखंड पाठ करते हैं और साथ ही मंदिरों और घरों में धार्मिक भजन, कीर्तन और भक्ति गीतों के साथ पूजा आरती की जाती है। कई लोग ब्रत रखते हैं। सभी अराधना में लीन हो भक्ति करते हैं।विश्व भर से भक्त अयोध्या, सीतामढ़ी, रामेश्वरम, भद्राचलम में दर्शन के लिए आते हैं।कुछ जगहों से तो पवित्र गंगा में स्नान के बाद भगवान् राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की रथ यात्रा भी विशेष अवसर पर निकाली जाती है।भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से इनसे जुड़े त्यौहार को मनाया जाता है जैसे महाराष्ट्र में रामनवमी को चैत्र नवरात्रि के नाम से मानते हैं, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू और कर्नाटक में इस दिन को वसंतोसवा के नाम से मनाया जाता है।लोग अपने घरों में मिठाइयाँ, प्रसाद और शरबत पूजा के लिए तैयार करते हैं। हवन और कथा के साथ भक्ति संगीत, मन्त्र के उच्चारण भी किये जाते हैं।भक्त गण पुरे 9 दिन उपवास रखते हैं और रामायण महाकथा को सुनते हैं और कई जगह राम लीला के प्रोग्राम भी आयोजित किये जाते।श्रीराम की कथायें लीलाओ अथवा गुणों का वर्णन पग-पग पर हमारी सभ्यता, संस्कृति, बोल-चाल नित- कार्य कलापो यहाँ तक की सोते जागते मिलता रहता है इसलिए तो हर तत्व में मौजूद है यहाँ के कण कण मे श्रीराम हैं।

                   "आशुतोष"

                  "पटना बिहार"



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Ashutosh kumar Jha

ashutoshjha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Neha Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही उम्दा👌👌

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही सुंदर आलेख। श्री राम

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    nice

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