समाज का ठेका

न जाने क्यों मुझे लगा कि मेरे सिर पर दो सींग उग आए हैं... समाज के दोहरे मापदंडों से परदा उठाती कथा

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 22 Jun, 2020 | 1 min read
#Social issues

"प्रिया,प्रिया" मैंने घर में घुसते ही आवाज लगाई।

"क्या हुआ" प्रिया दुपट्टे से हाथ पोंछती हुई हड़बड़ाती हुई बाहर आई।

"पाखी कहाँ है?" मैंने सख़्त लहजे में पूछा।

"पाखी?वो तो ट्यूशन गई है।" प्रिया ने मेरी तल्खी देख हैरानी से कहा।

"इतनी शाम हो गई, अबतक लौटी नहीं?"मेरे प्रश्नों की झड़ी ज़ारी थी।

"ओह, क्या हो गया है तुम्हें आज?"अब झल्लाने की बारी प्रिया की थी।

"वो तो रोज़ ट्यूशन जाती है और अकेली नहीं जाती, वैशाली और नेहा भी उसके साथ जाती हैं।बाहर से आए हो,कम से कम मुंह - हाथ तो धो लो।

"खबर देखी आज?" मैं मुद्दे की बात पर आया।

"नहीं" उसने संक्षिप्त सा उत्तर दे दिया।

" हाँ,तुम औरतों को सास - बहू के सीरियलों से फुरसत मिले तब न?" कहकर मैंने टीवी ऑन कर दिया।पहली ही स्लाइड में वह खबर आ गई जिसने सुबह से मुझे पागल कर रखा था।प्रिया भी कभी टीवी तो कभी मुझे देखे जा रही थी।अब मेरी ऊंगलियाँ पाखी को फोन लगाने में व्यस्त थीं लेकिन नेटवर्क मिल ही नहीं रहा था।मेरी घबराहट अपने चरम पर थी कि तभी पाखी आ गई।

"कहाँ रह गई थीं तुम और इतनी देर कहाँ लगा दी?" अब मेरा गुस्सा मेरी सोलह साल की बेटी पर फूट पड़ा था।

मेरे अकारण आक्रोश से सकपकाई पाखी ने कहा," ट्यूशन गई थी पापा और मम्मा को बताकर तो गई थी।"

"फिर तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा था?"

"अरे लिफ्ट में थी न?कहाँ से लगता?"बोलती हुई पाखी ने एक नज़र टीवी पर डाली।"ठीक है, ठीक है, बहस मत करो, अपने कमरे में जाओ।" कहते हुए मैंने टीवी बन्द कर दिया था मानो समाज की वास्तविकता से नज़रें चुरा रहा हूँ या शायद अपनी बड़ी होती बेटी से।मेरीे इस अचानक नाराज़गी से सहमी सी पाखी फौरन कमरे में चली गई।मेरा गुस्सा अबतक शांत हो चुका था क्योंकि मेरी बेटी सुरक्षित घर पहुंच गई थी।बाकी दुनिया में ये सब तो चलता ही रहेगा।मैंने क्या समाज का ठेका ले रखा है?मेरे माथे पर इस तनाव से पसीना चुहचुहा आया था।मैंने बेसिन पर चेहरा धोते हुए शीशे में देखा तो मुझे न जाने क्यों लगा कि मेरे सिर पर दो सींग उग आए हैं।

मौलिक एवंं सर्वाधिकार सुरक्षित

अर्चना आनंद भारती



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ARCHANA ANAND

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Comments

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  • indu inshail · 3 years ago last edited 3 years ago

    समाज का आईना हम ही तो हैं, बड़ी खूबसूरती से आपने इस कहानी में दर्शाया है। बहुत अच्छी रचना है।

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    हार्दिक आभार मैम

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