हमारे पतिदेव हजारों में नहीं, लाखों में एक हैं तुनकमिजाजी के मामले में, गुस्सा तो हर वक्त इनकी नाक पर होता है।हर वक्त लड़ने पर उतारू,मानो स्वयं महान योद्धा राणा सांगा इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर धरा-धाम से सिधारे हों।
इनकी एक आदत जो हमें नहीं सुहाती वो गुस्सा होकर गाल फुला लेने की आदत वो भी अनिश्चित काल के लिए।हम मना-मना कर हार जाते हैं पर ये जनाब मानें तब ना।हालांकि गुस्सा तो हमें भी बहुत आता है इनकी इन हरकतों पर लेकिन इन्हें मनाने के लिए तो हम हैं पर हमें मनाने के लिए कोई नहीं।ख़ैर, ये और बात है कि इनके फूले हुए गाल देखकर हमें हमारे मायके में मिलने वाले भोला हलवाई के ख़ास गुलाबजामुन याद आ जाते हैं, देसी घी वाले।अब इन्हें कौन बताए कि ऐसे मायके की मिठाईयाँ याद करवाना अच्छी बात नहीं।
एक और आदत जो इनकी है वो बिना किसी वजह के नाराज़ हो जाना ।अब एक दिन हमने किसी काम से इनके ऑफ़िस फ़ोन किया।बस यूं ही हमने पूछ लिया कि काम में बिज़ी हो क्या?जनाब छूटते ही बोले,''नहीं, समूह नृत्य कर रहा हूँ, तुम भी करोगी?" अब आप ही बताएं कि ऐसा क्या ग़लत पूछ लिया हमने? एक बार ये जनाब थैला लेकर निकले।हमने पूछ लिया कि 'क्यों जनाब बाज़ार जा रहे हैं?'
इनका टका सा जवाब था "नहीं, थैला लेकर मछली पकड़ने जा रहा हूँ, थैला भरकर लाऊँगा, देखना।" उफ़्फ़्,भला कोई इतना बेरूखा कैसे हो सकता है?
अब एक दिन रात में इन्हें खाने की टेबल पर बैठा देख पूछ बैठी,'खाना खाओगे?'
'नहीं, रोटियां ले आओ,उनकी त्रिज्या नाप लेता हूँ।' हुंह,खड़ूस कहीं के!
उस दिन दफ़्तर से जल्दी घर आ गए। हमने देखा कि जनाब लेटे हुए हैं। हमने इतना ही पूछा कि 'क्यों जनाब सो रहे हैं क्या?'
'नहीं, मरने की तैयारी कर रहा हूँ, तुम्हें कोई प्रॉब्लम है?'
'ख़ुदा ख़ैर करे,मरें आपके दुश्मन, अरे भई,कोई इतना कड़वा बोलता है क्या?' राम जाने अम्मा जी ने खाली करेले ही खाए थे क्या जब उम्मीद से थीं।
तो एक बार की बात है जनाब मुंह फुलाए बैठे थे अनिश्चित काल के लिए।हमारी मनाने की कोशिशें भी नाकाम थीं हमेशा की तरह।तो हम भी मनाना छोड़ सोने की कोशिश करने लगे।पर नींद को न आना था, न आई।सुबह उठी तो अजीब सी थकान महसूस कर रही थी।पर सुबह के काम,सुबह-सुबह तो एक गृहिणी को मरने की भी फ़ुर्सत नहीं होती।तो हम भी अपने कामों में जुटे थे कि अचानक धम्म से गिर पड़े।फ़िर क्या हुआ कुछ याद नहीं।आंंखें खुलीं तो पतिदेव को घूरता हुआ पाया।
फ़िर डॉक्टर के चक्कर और फ़िर तमाम प्रकार के टेस्ट।कितनी अजीब बात है ना कि शरीर में खून है या नहीं ये जानने के लिए भी ढेर सारा खून निकाल लेते हैं ये टेस्ट लैब वाले।ख़ैर, हम रिपोर्ट लेकर डॉक्टर के पास गए।डॉक्टर ने अनीमिया और लो बीपी बताया। पति ढेर सारी दवाइयों के साथ घर आए। हम घबराए से उनके भड़कने का इंतज़ार कर रहे थे कि तभी पतिदेव ने अपना अनिश्चित कालीन मौन तोड़ते हुए कहा,'खून बढ़ाओगी नहीं तो जलाऊंगा कैसे?'
हैं??? ये क्या था?पहली बार पतिदेव ने हमसे प्यार से बात की थी।हमारे दिलोदिमाग में घंटियाँ सी बजने लगीं।अब तक देखी सभी फ़िल्मों के रोमांटिक दृश्य याद आने लगे।तभी हमारा नशा तोड़ते हुए पतिदेव ने कहा,'ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं,दवाएं टाइम पर खा लेना, मैं बार-बार नहीं बोलूँगा।' एकदम कड़क अंदाज़ में किसी फ़ौजी की तरह।हमारा सारा नशा घड़ी भर में गायब हो गया।
ये जनाब हिदायतें देकर जा चुके हैं ऑफ़िस और मैं सकते की सी हालत में बैठी हूं।मन में वही मासूम सा सवाल,'कैसा ये प्यार तेरा?'
समाप्त
मौलिक एवं काल्पनिक
सर्वाधिकार सुरक्षित @अर्चना आनंद भारती
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