समिधा

स्त्री हर कालखंड में पुरुषों की समिधा रही है

Originally published in hi
❤️ 1
💬 0
👁 620
ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 19 Jul, 2020 | 1 min read
#Social issues



राजकुमार सिद्धार्थ ने त्याग दिया 

अपनी सोती हुई पत्नी यशोधरा 

और उसके कोमल सुखस्वप्नों को

ताकि वो महात्मा बुद्ध बन सकें

आजीवन चुकाती रही यशोधरा

अपने अश्रुकणों से

उनकी अर्द्धांगिनी होने का ऋण

एक युगपुरुष जीवन भर 

उपेक्षा करता रहा अपनी 

सरल पतिव्रता पत्नी की

आगे जाकर वह कहलाया

पिता एक देश का

इधर मेरी पहचान के एक

बिगड़ैल आवारा युवक को

ब्याह दिया गया

एक भोली लड़की से 

ताकि वो सुधर सके

मैंने उस युवती का

छुप - छुपकर

बिलखना देखा 

सूनी अकेली रातों में

पुरुष के निर्वाण का पथ

हर युग में स्त्री की

कोमल भावनाओं की 

समाधि से होकर

गुजरता रहा है 

स्त्री हर कालखंड में

उसकी समिधा रही है

मौलिक एवंं अप्रकाशित

अर्चना आनंद भारती


1 likes

Support ARCHANA ANAND

Please login to support the author.

Published By

ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.