डेढ़ इंच मुस्कान

एक ओर सेठ जी का विलासिता से भरा जीवन,मां के जन्मदिन पर अंधाधुंध खर्च.. दूसरी ओर बसंती का दयनीय ,लेकिन मेहनती जीवन कटु मुस्कान एक विडंबना।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 29 Jul, 2021 | 1 min read

स्वरचित लघुकथा 

शीर्षक-"डेढ़ इंच मुस्कान"


सेठ दीनानाथ जी की मां के सौवें जन्मदिन पर आज उनकी गौशाला में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था।

सेठ जी के आसपास मंडराने वाले तीन-चार चमचानुमा सेवकों ने फोटोग्राफी हेतु सबेरे-सबेरे ही पूर्वनिर्धारित योजना के तहत चयनित बंदों को तैनात करते हुए एक बड़ा सा कीमती छाता उनके हाथों में थमाते हुए,सेठ जी के सिर पर तानकर, अच्छी खासी बूंदाबांदी के मौसम में भी,उनके हाथों से पौधारोपण कराते हुए ,उन्हें प्रकृति प्रेमी करार देकर ,ढेरों तस्वीरें खिंचवा डालीं।

कीमती वेशभूषा में मुदितमना सेठ जी सफेद झक्क सिल्क-साड़ी में लिपटी हुई अपनी कृशकाय मां का हाथ अपने हाथों में लेकर टेबुल तक पहुँचे और शाकाहारी केक कटवाने का उपक्रम करते हुए देर तलक इशारों से ही अपने पसंदीदा छायाचित्र खिंचवाते रहे।

हवन-पूजन के उपरान्त खिलखिलाते हुए सेठ जी बरामदे में लगभग पचास गज की दूरी तक फैले गोबर से लिपे-पुते कृत्रिम फर्श वाले क्षेत्र में, साफ-सुथरी हरी सब्जियों,स्वादिष्ट पकवानों,कटे हुए फलों और सलाद आदि के सुसज्जित थालों को निहारकर प्रमुदित मन से आश्वस्त से दिखाई दे रहे थे।

उनके मुख पर ओढ़ी गई डेढ़ इंच मुस्कान सबको भली लग रही थी।

कुछ समयोपरान्त अत्युत्तम नस्ल की गायों के लिये निर्मित

गौशाला की सीमेंटेड खोरों में, पूजा में चढ़ाए गए लगभग ग्यारह हजार थालों के सभी खाद्य पदार्थ हरी- ताजी घास के साथ मिलाकर रखे गए, जिसे गायों को खिलाने का शुभकार्य मां के हाथों से कराते हुए सेठ जी परमभक्त सुपुत्र के रूप में उभरकर मीडिया पर खासी लोकप्रियता बटोर रहे थे।

दूरदर्शन पर यह रिपोर्ट देखती हुई बस्ती की बसंती को कीचड़ में लथपथ उस मरियल सी हडीली गाय की याद आने लगी,जो उसे अक्सर रोज ही कूड़े के ढेर पर सड़ा-गला कूड़ा निगलते हुए दिखाई दे जाती है।

देवा हो देवा...कहते हुए वह रोज की तरह ही बोरा उठाकर काॅलोनी के कूड़े के अंबार में से अपने लिये उपयोगी लगने वाली चीजें खोजने चल दी।

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स्वरचित-

डा.अंजु लता सिंह 

नई दिल्ली 



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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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