"कविता:एक अनमोल देन"

कविता आत्मा की सरसता की अनमोल देन है।

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"विश्व कविता दिवस"-2022 पर विशेष प्रस्तुति

स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता


शीर्षक-"कविताएं :आत्मा की एक अनमोल देन"


कविता क्या है?

अंत:करण से निकली एक आवाज

पाखी ज्यों भरे परवाज

श्वेत कपोत सी पावन

चारु-चंचल मनभावन

कलमकार की तलब

शब्द गढ़े है गजब

भावनाओं का समंदर

उमड़े मन के अंदर

चिंतन की उठती लहरें

रोके से भी ना ठहरें

कलम का जुदा अंदाज

आत्मा से निकली एक आवाज....


गम और खुशी

जीवन में जो बसी

बजाती है कभी साज

छुपाती है कभी राज

अनुभवों के बुलबुले

डुबोते हैं चुलबुले

उत्कट अभिलाषाओं को

सांकेतिक भाषाओं को

कविता,दिखाती है रास्ता

जगाती है सरसता

बांटती हैआनंद

शाश्वत अमन्द

निर्भीक,मुखर होते अल्फाज

कहने से नहीं आती बाज

कविता:कल और आज

आत्मा से निकली आवाज

  __________

रचयिता-डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली

e-mail-anjusinghgahlot@gmail.com














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