Titlel-"कान्हा की बंसी"(कविता)

कान्हा का भारत-भूमि पर अवतरित होने की गुहार...भक्त का प्यार

Originally published in hi
Reactions 0
500
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 30 Aug, 2021 | 1 min read

कान्हा की बांसुरी-

बजती रहे,

ग्वालों की टोली-

सजती रहे.


बरसाने की गोपी-

राधिके शर्माए, 

अधरों पर आस लिये-

गीत गुनगुनाए.


वृंदावन-वीथिकाओं में-

हो रौनक खुशियों की,

दिखे न कतार कोई-

बेबस, दु:खियों की.


यशुमति सब रीझें-

कान्हा पर अपने,

रुक्मणी देखें- 

मधुरिम से सपने.


हर युग में आएं-

भू पर गोपाला,

जादू कर जाएं- 

सब पर मतवाला.

 ______

रचयिता-डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली 









0 likes

Published By

Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

anjugahlot

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.