परिवार के साथ

"विश्व परिवार दिवस" पर एक पते की बात.. परिवार के साथ ही जीवन जीने का वास्तविक आनंद है।

Originally published in hi
Reactions 0
267
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 15 May, 2022 | 1 min read

"अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस" लाइव के अवसर पर

"पेपर विफ्फ" पर प्रेषित प्रविष्टि

दिनांक-14-5-2022

स्वरचित कविता-

शीर्षक-"परिवार के साथ"

आओ तुमको बतलाती हूं -

एक पते की बात

कितना अच्छा लगता है जी-

परिवार के साथ.

चहल-पहल,सुख दुःख की बातें-

चलती हैं दिन- रात.

कितना....


बड़ों का आदर,सेवाभाव -

लाड़-प्यार की ही सौगात,

नोंक-झोंक खट्टी मीठी सी-

खुशी, सुकूं ,तीखे आघात.

कितना अच्छा....

आओ तुमको...

शैशव खेले,हंसे जवानी-

प्रौढ़ों के उलझे जज्बात,

जीवन-संध्या की छाया में-

मिलकर दें पीड़ा को मात.

कितना...


दादी-दादू,मां-बाबू जी-

ताई-ताऊ,चाचा-चाची,

फूफा-बुआ,भाई-भतीजे-

मीठे रिश्तों की आबादी.

परिवार में, डाल चल रहे-

सब हाथों में हाथ।

कितना...


एकल परिवार का अब तो -

चलन बढ़ रहा जोरों पर,

मिलकर रहते हैं कुटुम्ब में-

रहे भरोसा औरों पर.

रिश्तों के सरवर में रहकर-

खिलते पारिजात.

प्यार झलकता है इनमें-

सुरभित लगती हर बात.

कितना...


तीज-त्योहार, नमाज, कीर्तन-

परिवार में होते हैं,

संस्कार के बीज यही तो-

हर बालक में बोते हैं,

घर ही हैं बालक की पहली-

शाला और जमात.

कितना ...


अब तो मुझको पेपर विफ्फ" भी-

परिवार सा लगता है,

कार्यक्रमों का पहिया इसका-

नियत निरंतर चलता है,

तालिब,चारू,श्वेता,पाखी-

सबसे होती बात

खुशियां बांट रहे हैं सारे-

मिलकर जी दिन रात

आओ तुमको...

कितना...





  स्वरचित कविता-

डा. अंजु लता सिंह'प्रियम'

नई दिल्ली

0 likes

Published By

Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

anjugahlot

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.