मैं जो बेटी हुई(गीत)

महिला दिवस

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 10 Mar, 2024 | 1 min read

स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित गीत

शीर्षक-" मैं जो बेटी हूँ "

 

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ-

मेरी मम्मी ने ख्वाब देखा था जो,सच्चा हुआ,

हुए पापा बड़े प्रफुलित,जो नजर मुझपे पड़ी-

कहा-लक्ष्मी का हुआ आगमन"अमोल घड़ी",

मैं कहाई परी पापा की,मां को प्यारी लगी-

दादी-दादू को देवी और दुनिया सारी लगी,

सभी ने आके दी मुझ नन्ही औ जच्चा को दुआ

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ....


नन्हीं मैना सी उड़ी फिरती थी घर-आंगन में-

खेलती-कूदती फिरती थी खुले प्रांगण में,

किताबें पढ़ने का जुनून रहा बचपन से-

मां सा बनना है मुझे, वादा लिया दर्पण से,

कदम बढ़ाती रही,हो गई पैरों पे खड़ी-

लगी रही सदा ही संग इनामों की झड़ी,

बनी अध्यापिका हर बच्चा गया लेकर दुआ 

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ...


बेटी के होने से परिवार पूरा होता है-

घर में रौनक रहे दीदार ए प्यार होता है,

काम करती है,सेवा भी करे वह जी भर के-

आधी दुनिया बनी नखरे उठाती है नर के,

विदा होके जो जाती है पराए घर अपने-

करना चाहे वो पूरे देखे थे जो भी सपने,

वो है पारसमणि रतन सी,उसने जिसको छुआ-

खुली किस्मत उसी की,लोहा भी कंचन सा हुआ

बनाए रखती संतुलन कदम उठाए नया.

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ...


'महिला-दिवस'पे थिरकें उमंगे हर मन में-

करवटें लेके हसरतें लगें सपन बुनने,

ऊंची परवाज भरें,आसमान को छू लें-

खुद पे विश्वास करें,उलझनें सभी भूलें,

पड़ी रहने दें सारी मुश्किलें,बस ऐश करें-

दु:खों को रक्खें ताक पर, कला को कैश करें,

इरादे ठोस लेके चल रही है अब नारी-

हरेक क्षेत्र में पलड़ा उसका है भारी,

लहरा परचम जगत में हासिल'ए'मुकाम किया-

आज की नारियों ने अपना ऊंचा नाम किया- 

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ...


बनके मॉडर्न शिथिल होती जा रही नारी-

अपने पैरों पे मारे जा रही खुद ही कुल्हाड़ी!

जो घर की शोभा थी,जाने कहाँ जा बैठी?

अपनी इगो में फंसी,रहती है ऐंठी ऐंठी,

दरार रिश्तों में आने लगी ब्रेकअप होते-

लिव-इन रहके भी जीवन में क्यों कांटे बोते?

न हदें लाँघूँगी शालीनता की मैं तो कभी-

नारी शक्ति की पहचान बनूंगी रे तभी,

धरा पे आई हूँ संवारने मैं सारा जहां-

मैं जो बेटी हूँ जन्मी इस भू पर अच्छा हुआ...


 _______________


रचयिता- डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली




















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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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