शिक्षक दिवस विशेष

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 06 Sep, 2019 | 1 min read

जब एक अभिभावक या अध्यापक शिकायत करता है कि अमुक बच्चा पढ़ नहीं रहा तो मुझे दुख होता है।


न पढ़ना मेरे लिए समस्या नहीं है। मेरे लिए समस्या है, बच्चे को दिन रात कोसना, विद्यालय से घर जाते ही उसे पढ़ने के लिए कौंचना, किसी और बच्चे से उसकी तुलना कर उसे बार बार बताना कि तुम कितने गधे और बेकार हो, छोटी छोटी बातों पर उसे डांटना, विदयालय में अध्यापकों द्वारा उसे नीचा दिखाया जाना और न जाने ऐसे कितने काम जिससे एक बच्चा आत्मविश्वास खो बैठता है। यही मेरी समस्या है जब एक बच्चे को केवल पढ़ाई न करने या किसी भी कारण से केवल डांट मार मिलती है, और उसे प्यार नहीं मिलता। अभी बच्चा छोटा है, फिर बड़ा होते ही वह अपने जीवन की सार्थकता दोस्तों और प्रेमियों के बीच तलाशना शुरू कर देगा जहां दिखावे के तौर पर ही सही लेकिन उसे प्यार, विश्वास और अभिव्यक्ति की आजादी मिलेगी।


मां, पिता और शिक्षकों को यह बात देर से भी सही, समझ मे आ जाये तो बच्चों का बहुत बड़ा कल्याण होगा। मैने विद्यालय में ये प्रयोग करके देखे हैं और सफलता भी मिली है, और जहां माता पिता ने सहयोग दिया है, वहां शीघ्र सफलता मिली है। 


मैं उन बच्चों को देखता हूँ जो मेरे पास 2 या 4 या 6 में किसी और स्कूल से आये हैं, जिन्हें केवल भेड़ की तरह 50 या 80 बच्चों के बीच रखकर, ऊपर बताए गए सारे कुकर्म करके स्कूल और घर ने उनके जीवन से जीवन ही निकाल लिया है, तो मुझे रोना आता है। और इसके बावजूद शिक्षा का ऐसा दबाव और तनाव कि अभिभावक समझ नही पा रहे कि उनका उनका बच्चा किन परिस्थितियों और मनोवैज्ञानिक तनाव से गुजर रहा है।


उन डरे हुए चेहरों और दब्बू व्यक्तित्व से पढ़ाई की आशा रखना व्यर्थ है भले आप उन्हें माधव सर के स्कूल में भेजिए। पहले हम सभी को उनके व्यक्तित्व को निखारकर सकारात्मक और खिलंदड़ बनाना होगा, उसके बाद पढ़ाई हो जाएगी। इसे आजमाकर अवश्य देखिएगा। समस्या फिर भी बनी रहे, जिसकी गुंजाइश नहीं है, फिर भी यदि हो, तो मुझसे अवश्य मिलिएगा।


शिक्षक दिवस पर कविता:


पढ़ लिख जग में नाम कमाना सिखलाता है अध्यापक  

सब उदंडता तुम बच्चों की सह जाता है अध्यापक  


ज्ञानदान से बेहतर कोई दान नहीं है जीवन में 

हर मुमकिन कोशिश से तुमको समझाता है अध्यापक  


कक्षा कभी न छोड़ के जाते होता अगर ज़रा एहसास  

तुम्हें पढ़ाने खुद कितना पढ़ कर आता है अध्यापक  


डांट डपट कर हाथ उठा कर ख़ुशी नहीं मिलती हरगिज़ 

दंड अगर दे ,बाद में खुद ही पछताता है अध्यापक  


उसके जीवन के अनुभव से सीख लो जितना सीख सको  

जाने कब वो बात पते की कह जाता है अध्यापक  


लाख कोशिशों बाद सफलता जो ना मिल पाई खुद को 

छात्र वो हासिल कर ले कितना सुख पाता है अध्यापक


दोस्तो, आप सबको शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई और इस अवसर पर आज की मेरी ग़ज़ल उन सभी शिक्षकों को समर्पित है जिन्होंने किसी न किसी रूप में मुझे जीवन में शिक्षित किया है - - - - - 


मुसीबत में हमें हर पल गुरु ही याद आता है,

निकलना जाल से कैसे इशारों में बताता हैl


करें गलती अगर जो हम तो वो नाराज़ होता है,

वही इक शख्स है जग में जो सब सच सच सुनाता हैl


मगर हम सीख लें सब कुछ यही विश्वास रखता है,

खुदा ढल के गुरु के रूप में हमको सिखाता हैl


ली है करवट जमाने ने भले बदली फिजायें हैं,

गुरु हर फ़र्ज़ लेकिन आज भी अपना निभाता हैl


अँधेरे घेर लेते हैं कभी हमको जो जीवन में,

गुरु बन के दिया बाती हमें रस्ता दिखाता हैl


नमन करता मलिक उसको सदा जिसने सिखाया है,

चरण छूकर गुरु के आज सर अपना झुकाता हैl

       

  


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