नेता

A poem about masks on the political faces.

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Ajay goyal
Ajay goyal 02 Apr, 2023 | 1 min read

बंदे तेरा एक ही धंधा

छोड़ दें बाकी मोह माया

दरवाजे पर दस्तक दी है

देख जरा कि कौन आया

खोलेगा जो पट तू तो

सिर्फ उसको ही पाएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा...

बच के रहना, तुम ओ भैया

वो फिर तुमको भरमाएगा

उतार मुखौटा संसद वाला

वो द्वार तुम्हारे आएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा -2

शतरंज की बिसात बिछेगी

तुम पैदल ही दौड़ोगे

वो घर पर कब्ज़ा कर लेगा

ज्यों ही तुम घर छोड़ोगे

चाल में उसके फंस मत जाना

वरना तू पछताएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा -2

कई मुखौटे पहने उसने

निर्धन और अमीरों वाला

मिल जाने को हर समाज में

सज्जन और फकीरों वाला

क्या है उसका असली चेहरा

तू कभी समझ न पाएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा -2

जब वो तेरे द्वारे होगा

 हर समस्या सुलझेगी

लेकिन कागज़ के जालों में

जाकर के वो उलझेगी

ऑफिस ऑफिस धक्के खाते

तू थक कर गिर जाएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा -2

कहते हैं कि पांचों उंगली

कभी एक नहीं होती

इन बगुला भगतों में भी

मिल जाते है सच्चे मोती

लेकिन उनको पहचाने जो

इतने जौहरी कहां से लाएगा

कि नेता sss

फिर से आएगा...






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