कविता : पर्वतों के पुत्र

साहसी संघर्ष में विचलित नहीं होते |

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Adhiraj
Adhiraj 19 Oct, 2025 | 1 min read
Mountains Inspirations Motivation

अड़चने भी होंगी, होगा विपदा का पहरा,             

किस्मत की कश्ती में, पीड़ा को भी तुम सहना ,

चट्टानों को तोड़कर, नदी सा रुख़ अपनाना 

पर्वतों के पुत्र , तुम सदैव बहते रहना । 


अनुयायी बनो उस पर्वत के, जिसने गगन को चूमा है , 

मैदानों से दूर तटस्थ वह प्रतापी , प्रबल, प्रेरणा है , 

भीष्म भूमि से उपजा, नदियों का जीवन दाता है , 

उन्ही पर्वतों के तुम पुत्र , विश्वास जीवन में रखना,

पर्वतों के पुत्र, तुम सदैव बहते रहना । 


तूफ़ानों की मार क्या, फिर भी अड़िग बढ़ता जाता है ,

गौतम बुद्ध सा वह स्वच्छ पर्वत शांत चित्त कहलाता है , 

अपने हृदय में वही पर्वत सा साहस तुम भी रखना ,

पर्वतों के पुत्र, तुम सदैव बहते रहना । 


बहना शीतल धारा सा , सपनों को अपने सींचना है , 

मुस्कुराहट की बोली से ,उन रूखे दिलों को जीतना है । 

जो पर्वतों से चले हो तुम, सागर में जरूर समाना,

पर्वतों के पुत्र, तुम सदैव बहते रहना ।

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  • Aanya Joshi · 1 month ago last edited 1 month ago

    It is simple and motivational. Nice Poem.

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