Aadiramani
Aadiramani 11 Jul, 2022
दृष्टिगोचर
प्रभा मानो हम ही तीनों के नयनों में बसेरा किये हुए थी जब हम उस सदानीरा के तट पे एक दूसरे का हाथ थामे खड़े थें। मैंने सत स्वरूपी विभा देखी और मनस में चाव भरी मद भाव लिए उनकी तरफ़ आत्यंतिक सुख से झाँकना चाहा, मालूम हुए वो दृष्टिगोचर सृष्टि केवल मेरे नही., हमारे लिए थी। आदिरमानी✍️💫

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by aadiramani1

11 Jul, 2022

दृष्टिगोचर

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