संधि

ये एक छोटी सी रचना है, जो संधि की आकांक्षा करते हुए उस अमृत की प्राप्ति को सबल रूप से अभिव्यक्त करने का प्रयास है।

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Aadi
Aadi 12 Jul, 2022 | 0 mins read

हर एक पहर बरस तु तुझमें,

निर्मल अविरल जल संधि हो

मन वचन सब सरस हो तुझमें

पावन कोमल थल संधि हो।।

नाद सृष्टि का गरज हो तुझमें,

हर क्षण मधुर सरल संधि हो

मातृ शक्ति सब वर देवे अब,

हर हर हर हर स्वर संधि हो।।

मानव जागो अब रजनी में

हर पल तुममें हर संधि हो

सृजन प्रलय के हो दृष्टा अब,

अग्नि अंत: करण संधि हो।।

आदिरमानी?✍


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