"ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर"

"ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर" की नीति को अंगीकार कर लेंगे तो फिर कोई याद आने वाला नहीं। ऐसा करके बहुत सारी मानसिक चिंताओ एवं विकृतियों से आप मुक्त हो जाएँगे।

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Tejeshwar Pandey
Tejeshwar Pandey 14 Jul, 2020 | 1 min read
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संसार को जब भी हम अपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं तो संग पैदा होता है। जैसे ही उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं तो संग की भावना समाप्त हो जाती है। आसक्ति हटती है, अटैचमेंट टूटता है। इसलिए हम कहते है की कभी भी किसी की तरफ अपेक्षा की दृष्टि से मत देखना, बल्कि उपेक्षा की दृष्टि से देखना। कोई भी चीज जो मोह रही हो, उससे अटैच मत होईये ।

रास्ते में चलते हुए आपको अगर बाजार में कोई चीज दिखे, बिकने को तैयार खड़ी गाड़ी दिखे, ज्वैलरी शाप में सजे हुये जेवर दिखें, या किसी दुकान में सुन्दर वस्त्रों पर आपने नजर डाली। अगर वहाँ आपकी उपेक्षा वाली दृष्टि है तो आपका ध्यान सिर्फ देखने में हुआ और आगे चल पड़े। आपका मन उन चीज़ों से जुड़ा नहीं। लेकिन, यदि अपेक्षा की दृष्टि से देखा और सोचा कि अच्छा! इतनी अच्छी चीज यहाँ मिलती है! मंहगी होगी! हो सकता है ठीक दाम से भी मिल जाये! आपने सोचा, सत्संग में जायेंगे, उसके बाद वापिस आते हुए एक बार तो जरूर दुकान में बात करके जायेंगे। जब सत्संग में आकर के बैठे तो ध्यान उसी साड़ी पर, जेवर पर, वस्त्र पर या कार पर होगा।

अपेक्षा से देखा न आपने, तो कहीं भी जाओ! कहीं भी बैठो! ध्यान बार-बार उसी पर रहेगा। जरा एक बार देख तो लूँ। इतनी अच्छी गाड़ी, इतना अच्छा माडल अगर मेरे पास हो तो कितना अच्छा हो। अब यहाँ उस वस्तु से आपका संग जुड़ गया। रास्ते में चलते हुए अगर आप कहीं कूड़ा कचरा देखते हैं तो उसे आप कभी अपेक्षा की दृष्टि से नहीं देखते, वरन् उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं। इसलिए कभी वह गन्दगी आपके मन में याद नहीं रहती। याद वही चीज रहेगी, जिससे आपको आसक्ति हो गई। वह भी चीज़ या बात याद रहती है, जिसके बारे में आपके भीतर घृणा जाग गई हो।

ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिससे घृणा है, जिससे बैर है वो भी हर समय याद आयेगा और जिसके प्रति आपकी बड़ी आसक्ति है, वह चीज़ भी आपको हर समय याद आएगी। उठते-बैठते, चलते-फिरते हर समय आप उसे याद करेंगे। यदि आप अपनी दृष्टि को सम्यक् बना लेंगे और "ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर" की नीति को अंगीकार कर लेंगे तो फिर कोई याद आने वाला नहीं। ऐसा करके बहुत सारी मानसिक चिंताओ एवं विकृतियों से आप मुक्त हो जाएँगे।

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  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    प्रेरणादायक

  • Tejeshwar Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    शुक्ररिया संदीप जी ?????

  • Manu jain · 5 years ago last edited 5 years ago

    ???

  • Anonymous · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत बढ़िया लिखा??

  • Babita Kushwaha · 5 years ago last edited 5 years ago

    Bahut sahi baat kahi he

  • Ektakocharrelan · 5 years ago last edited 5 years ago

    वाह बहुत खूब ??

  • Tejeshwar Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    ji shukriya Ekata ji

  • Tejeshwar Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    Shukriya Babita ji

  • Tejeshwar Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    ji SHukriya Varsha ji

  • Tejeshwar Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    ji Shukriya Manu ji

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