डिजिटल दुनिआ के बदलते रिश्ते

डिजिटल दुनिआ के बदलते रिश्ते

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Shweta Gupta
Shweta Gupta 30 May, 2022 | 1 min read

इसमें कोई शक नहीं की जबसे डिजिटल दुनिआ में रखा हमने कदम,

हम सबकी ज़िन्दगी में आये अनेक बदलाव, होगया सब उथल पुथल.

समझ नहीं आता की हम इसके पीछे भाग रहे हैं, या ये हमारा पीछा कर रहा है,

नए दोस्त और दूर बैठे रिश्तेदारों को अगर ये लाये पास तो साथ रहने वालों में दूरी बढ़ा रहा है.

हम घंटों इस सोशल मीडिया के साथ बिताते है,

जिन्हें जानते नहीं, कभी मिले नहीं, उनके लाइक्स करदेते खुश और उनके दुःख में हम दुखी होजाते हैं.

पहले कहते थे, माँ बाप और गुरु के आगे सर झुकना चाहिए,

अब हमे तो इस छोटे से मोबाइल ने हेी अपनी कठपुतली बना रखा है.

दूसरों के कमैंट्स के आधार पर हमारे दिन का मूड चलता है,

मम्मी हो पास, ग़म की हो बरसात, भाई बहिन की हो बरात, या मिली हो कोई सौगात, सीधा इंस्टाग्राम पर अपलोड होता है.

अब अपना दुःख बांटने के लिए दोस्त का कन्धा नहीं, आंसू पोंछने के लिए किसीका रुमाल नहीं,

है अगर सोशल मीडिया अकाउंट, बस काफी है वही.

पहले दिल के राज़ एक हमराज़ जो था ख़ास उसको बताते थे,

अब बढ़ाने के लिए फोल्लोवेर्स, अपनी ज़िन्दगी का खुलासा दुनिआ के आगे हैं खोल देते.

दादी नानी की कहानियां भी YouTube की वीडियोस के आगे हुई गोल,

बचपन गुम होता जारहा, बस सोशल मीडिया ले रहा सबकी जगह अबतो.

पहले जो दूर थे दिल के रहते थे, पर अब जो पास हैं वो दूर होते जा रहे हैं,

क्युकी अब आप मैं और हमारे रिश्ते डिजिटल होते जा रहे हैं.

डिजिटल दुनिआ वो दीमक है, जो धीरे धीरे रिश्तों को खोखला कर रही है,

जो वक़्त एक दूसरे के साथ बिताना चाहिए, वो सोशल मीडिया सारा वक़्त चूस रही है.

न खाने की टेबल पर हसी ठहाके हैं, न लाइट जाने पर बचे खेलते छुपन छुपाई,

अब अँधेरा नहीं डरता, पर wifi बंद होजाने का डर सबको सताता भाई.

अब मिलकर पिक्चर देखने मूवी हाल नहीं जाते, घर पर सब एक एक कोना पकड़कर नेटफ्लिक्स देखते हैं,

एक दूसरे से मिले बिना हेी व्हाट्सप्प फॅमिली ग्रुप पर गुड़ मॉर्निंग भेज देते हैं.

हम अब यादों को दिल के पिटारे में नहीं, अपनी फ़ोन गैलरी में कैद करते हैं,

भागती सी ज़िन्दगी में छोटे जा रहे पुराने रिश्ते, पर हम बेफिक्र बस इस नयी दुनिआ में आगे बढ़ते जारहे हैं.

हम चेहरा नहीं ,अब इंसान का प्रोफाइल या बायो देखकर उसे पढ़ने की कोशिश करते हैं,

मेरा कहना है क्यों न मोबाइल, लैपटॉप से लेकर कुछ देर का सन्यास, डिजिटल दुनिआ से बाहर आकर असल दुनिआ में फिर एक जीकर देखते हैं.





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