मैंने सोचा क्यों ना इस मदर's डे पर एक कविता खुद के लिए लिख दू,
बेटी तो अभी छोटी है, उसकी तरफ से मैं ही कुछ कहदूँ.
मम्मी, करती हु भगवान का शुक्रिया जिसने मुझे आपसे मिलवाया,
आपकी गोदी में मिलता मुझे सुकून, आपका आँचल देता ठंडी छाया.
आप गुस्सा जितना करती हो, उससे कहीं ज़्यादा प्यार भी लुटाती हो,
जब भी आपकी डाँट से मैं रोती हु, आप ही फिर मुझे सबसे ज़्यादा हसाती हो.
मेरी पसंद नापसंद का ख्याल आप खुद से अधिक रखते हो,
हो कोई तकलीफ आपको, चेहरे पर मुस्कान हमेशा रखती हो.
आपके साथ पार्क जाना,घर घर खेलना और गुड़ियों को आप साथ जब सजाती हो,
बड़ा मज़ा आता है मम्मी, आप भी जब मेरे साथ बच्ची बन जाती हो.
मैं करती हु आपको परेशां, ये हु मानती,
हूँ पापा की कॉपी, गुण उनके भी मुझमे आएंगे ना मम्मी.
मैं अगर आपका चाँद का टुकड़ा हु,आप हो मेरी फवौरिट आइस क्रीम,
मैं हु अगर आपकी आँखों का तारा, आप मेरी पसंद की कैंडी.
आपकी सहनशक्ति को मैं दाद देती हु,
मैं हूँ अभी नादान, गलती से गलतियां करदेती हूँ.
नानी बताती है, आप भी कुछ कम शरारती नहीं थी,
आपने भी किआ था उनकी नाक में दम, इतिहास तो दोहराता ही है मम्मी.
पर आपने मेरी लाइफ के हर पल को बनाया है बहुत ख़ास,
मुझे डर नहीं सताता कोई ना मन घबरता ममी, जब आप होती हो मेरे पास.
सिर्फ एक दिन ही क्यों मदर's डे मनाने के लिए,
मेरे लिए तो ममी , हर दिन आपका और मैं बस आपक
े लिए.
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