कुछ अनकही अनसुनी

कुछ बातें और एहसास अनकहे होते भी बहुत कुछ कहते हैं।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 29 May, 2021 | 1 min read
Ankahi Ansuni preet izhaar heart gawah jheel kamal gulab shaam Hindi Poetry
खूबसूरत वादियाँ, झील का तर किनारा,
और सरसराहट करती झोंकों वाली हवा, 
मजबूर तो कर रही थी दोनों को अनवरत, 
एक दूजे की आँखों में देखने के लिए, 
थामे था जो बाहों में बाहें नव युगल। 

शर्म से झुक रहीं थीं पलकें टकराकर बार बार, 
सुदबुगाहट फैल रही थी जिस्मों के खाँचे में, 
गाल गुलाबी हो रहे थे प्रफुल्ल कमल के समान, 
स्मित हर बंदिश तोड़ होंठों तक आना चाह रही थी, 
खिल रहे थे ललाट भी जैसे ओस के साथ दहकते गुलाब। 

लब्ज खुद-ब-खुद जम गये थे मुख में, हिम के समान, 
ख़ामोशी देर तलक पसरी थी दोनों के दरम्यान, 
प्यार का बीज़ फूट रहा था उसी समय दोनों के हृदय में, 
मौन इज़हार और इकरार दोनों पक्षों में था बराबर, 
समर्पण का भाव भी तो टक-टक झूला झूल रहा था सीने में। 

रवि संतरी हो चला था,
उभर आयी थी बारीक रेखा रूपी चंद्र की छवि नभ में, 
शाम फूलकर लाल हो गई , 
और गवाह बनी.... 
कुछ अनकही और कुछ अनसुनी प्रीत की कहानी की।। 


स्वरचित व मौलिक

© चारु चौहान

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