गुनाह उसका क्या?

एक लड़की का सवाल, आख़िर उसका गुनाह क्या था?

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 23 Jun, 2021 | 1 min read
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जाती थी उसी गली नुक्कड से, वह स्कूल रोज,

था जाना पहचाना उसका, हर गली हर चौक,

कुछ दिन से, आवारागर्द टोली का था वहां जोर,

करते रहते थे आती जाती को, टिप्पणी और टोन,

माँ दुपट्टा सही ओढ़ने को, अक्सर देती थी टोक,

सीख रही थी वह भी सहना, बिन किसी झालझोल,

फ़िर भी एक दानव ने उसका, रास्ता लिया रोक,

किया उसे तार तार, बिना लोक लाज बिन सोच,

लड़ रही थी हिम्मत से, पर चार ने दी ताकत तोड़,

लड़खड़ाती अस्त व्यस्त सी, आयी लहू-लुहान ओक,

आए थे पड़ोसी और रिश्तेदार अब मनाने अति शोक,

दे रहें नसीहत संग, क्यूँ बेटी को घर ही ना लिया रोक,

पीट रही थी माँ भी माथा, कर रही थी य़ह सुन शोर,

भीग गया एक दफ़ा फिर, उस बेटी की आंख का कोर,

कह रही थी ख़ुद से, क्यूँ चलने दिया मैंने उनका ज़ोर,

क्यूँ नहीं किया था पहले दिन ही, मैंने विरोध पुरजोर,

किसी ने किया गुनाह लेकिन मैला दामन मेरा क्यूँ बोल,

लांछन तुमसे पाया मैंने चुप रहकर, गए पापी मुझे रोंद,

नहीं शुभचिंतकों अब नहीं, दूँगी मैं अब जवाब मुँहतोड़।।


स्वरचित व अप्रकाशित

© ® चारु चौहान

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