हिंदी आत्मीय मीत

सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 14 Sep, 2021 | 0 mins read
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हिंदी यूँ ही नहीं कहलाती भारत की बिंदी,

हाँ, हिंदी यूँ ही नहीं कहलाती भारत की बिंदी।


सहेजा है इसने भारत के गौरव को,

समेटा है स्वंय में, कितनी ही भाषाओं को,


हृदय में त्याग और समर्पण के भाव लिए,

खड़ी रहती है सदैव स्वागत का थाल लिए,


अभिव्यक्ति की सुंदरता है हिंदी,

अगाध ज्ञान का सागर है हिंदी,

हिंदी यूँ ही नहीं कहलाती भारत की बिंदी।


निर्जन में जैसे कोई आत्मीय मीत हो,

दावानल में जैसे शीतल जल की धार हो,


सीमा रेखाओं की अंतिम प्रसन्नता सी है,

प्रेम से अभिभूत एक बयार सी है,


भाषाओं की शिरोमणि है हिंदी,

हृदय में क्रांति की अगन (अग्नि) सी है हिंदी,

हाँ, हिंदी यूँ ही नहीं कहलाती भारत की बिंदी।


स्वरचित

© ® चारु चौहान


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Charu Chauhan

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