खून एहल-ए-वफा का न बहाया करो,
ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।
अपनी खुली ज़ुल्फो को न सजाया करो ,
आवाज़ देकर हमे न सताया करो।
हमे अपनी जान प्यारी ही, वफा का वादा न दिया करो,
ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।
हल्के से कहदो ज़हमत अपनी,
इज़हर-ए-मोहब्बत-ओ-चर्चे सारे आम न किया करो।
कुछ ही लम्हे ही ये सोहरत-ए-इश्क़ के,
आज जाने की ज़िद न किया करो।
जिक्र हमारी कुछ गलतियों का लिया तुमने,
तेरा ज़ुल्म ही शामिल था मेरे बर्बादी में।
अब इश्क़ के नमाज़े न पढ़ा करो,
हमे इसी बंदगी न रखा करो।
सितमगर हो तुम खूब जान थे हें,
अब हमे ये वफा के सिलसिले न बताया करो।
हमसे बेहेशत-ए-वफा-ओ-वादा न लिया करो,
ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।
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