।हुसन के आँसू।

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OJAS S HIROLIKAR
OJAS S HIROLIKAR 04 Apr, 2022 | 1 min read
Poetry

खून एहल-ए-वफा का न बहाया करो,



ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।

अपनी खुली ज़ुल्फो को न सजाया करो ,

आवाज़ देकर हमे न सताया करो।

हमे अपनी जान प्यारी ही, वफा का वादा न दिया करो,

ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।

हल्के से कहदो ज़हमत अपनी,

इज़हर-ए-मोहब्बत-ओ-चर्चे सारे आम न किया करो।

कुछ ही लम्हे ही ये सोहरत-ए-इश्क़ के,

आज जाने की ज़िद न किया करो।

जिक्र हमारी कुछ गलतियों का लिया तुमने,

तेरा ज़ुल्म ही शामिल था मेरे बर्बादी में।

अब इश्क़ के नमाज़े न पढ़ा करो,

हमे इसी बंदगी न रखा करो।

सितमगर हो तुम खूब जान थे हें,

अब हमे ये वफा के सिलसिले न बताया करो।

हमसे बेहेशत-ए-वफा-ओ-वादा न लिया करो,

ए हुस्नवालो आँसू न बहाया करो ।







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