कामयाबी की सीढ़ियाँ

किताबें कामयाबी की सीढियां होती हैं।

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Nidhi Gharti Bhandari
Nidhi Gharti Bhandari 30 Jun, 2020 | 1 min read

"अरे...गोलू के पापा... बाहर जाकर देखिये तो शायद रद्दी वाला आया है, आप उसे रोकिये मैं गोलू की पुरानी किताबें निकालकर ले लाती हूँ।"

गोलू की मम्मी की यह बात सुनते ही गोलू की पढ़ाई की मेज पर रखी सभी किताबों में दहशत सी फैल गयी। हालात का जायज़ा लेने को आतुर वे सभी आपस में बतियाने लगीं। 

गणित की किताब ने अंग्रेज़ी की किताब से पूछा, "बहन क्या तुम जानती हो कि यह सब क्या हो रहा है?" 

"मुझे लगता है गोलू की मम्मी हम सबको रद्दी वाले को दे रही हैं क्योंकि गोलू नयी कक्षा में चला गया है। अब नयी कक्षा की किताबें खरीदी जायेंगी और हमारी जरूरत खत्म" कहते हुये अंग्रेजी की किताब थोड़ी भावुक हो गयी। 

सारी किताबें समझ गयी थीं कि गोलू और उनका साथ केवल यहीं तक था इसलिये माहौल अब काफी गमगीन हो गया था।

तभी गोलू के पापा ने टोकते हुये कहा, "नहीं महिमा... गोलू की किताबें रद्दी में मत बेचो।इनके एवज़ में चंद रूपये ही तो मिलेंगे। क्यों न अब से हम शान्ति को यह पुरानी किताबें दिया करें? जानती हो उसको कितना फायदा होगा, काफी पैसे बच जायेंगे बेचारी के।"

"ठीक कहते हैं आप मैं कल ही यह सारी किताबें शांति को दे दूँगी" यह कहकर गोलू की मम्मी दोबारा अपने काम में लग गई। गोलू की पुरानी किताबें अब खुशी से फूली नहीं समा रही थी क्योंकि अब वे सिर्फ़ रद्दी नहीं बल्कि किसी गरीब बच्चे के भविष्य की सीढ़ियाँ बनने वाली थी।

निधि घर्ती भंडारी

हरिद्वार उत्तराखंड

मौलिक, अप्रसारित एवं अप्रकाशित


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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

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