शाम

एक और शाम आई है दहलीज़ पर मेरी.....

Originally published in hi
Reactions 3
709
Manu jain
Manu jain 20 Jul, 2020 | 0 mins read

एक और शाम आई है दहलीज़ पर मेरी,

तेरी यादों की पोटली

अपने संग लाई है।

तू दे इजाज़त गर मुझे

तुझे कैद करलूं बातों में मैं

हर्फ़ मेरे लफ्ज़ से जो निकले

की छू सके तेरी रूह को भी


तू दे इजाज़त तो बना लूँ

तेरी बातों को मैं ज़िंदगी

तुझे छुपा लूँ मैं इस जहाँ से

संग बना लूँ नया जहाँ कहीं


देख!

एक रात आई है फिर से

दहलीज़ पे मेरी

तेरी बातों की पोटली

संग लाई है


तू दे इजाज़त तो थाम लूँ

मैं रात को अब ढलने से

टाक दूँ मैं चाँद अब,

चाँदनी कुछ बिखरने दे


तू दे इजाज़त भर लूँ तुझे

इन ख्वाबों की बाहों में

कर दूँ शब्द भी खामोश

कुछ मुझे तू पिघलने दे


देखो!

एक सवेरा आया है फिर

दहलीज़ पर मेरी

हक़ीक़त की पोटली

संग लाया है अपनी


तू दे इजाज़त नकार दूँ

तेरे जाने की हक़ीक़त को

मैं थाम लूँ तुझ संग खुदको

जी लूँ फिर संग ख्वाब को


तू दे इजाज़त मुस्कुरा लूँ

फिर चिढा लूँ मैं आज को

रोक दूँ ये आँसुओं को

न पसंद थे जो तुझको


3 likes

Published By

Manu jain

ManuJain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sushma Tiwari · 3 years ago last edited 3 years ago

    खूबसूरत

  • Manu jain · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thank you 😊

Please Login or Create a free account to comment.