होली का त्यौहार

होली एक ऐसा त्यौहार है जिसे हर भारतवासी धूमधाम से मनाया करता है । सभी लोग अपने मन के गिले शिकवे भुलाकर एकजुट होकर हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से गले मिलते हैं और इस रंगीन त्यौहार को मनाते हैं ।

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Manu jain
Manu jain 07 Mar, 2020 | 1 min read

हमारी भारतीय संस्कृति में सबसे खूबसूरत रंग होली के त्यौहार को माना जाता है ‌होली का त्यौहार भी कई मान्यताओं पर आधारित है । होली का त्यौहार फाल्गुन माह में मनाया जाता है । होली ना केवल हिन्दू अपितु हर समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है ‌। यह त्यौहार एक दूसरे से उल्लास पूर्वक मिलकर , गले लगाकर , एक दूसरे को रंग लगाकर व पकवान खिलाकर मनाया जाता है ।

इस दिन फागुन गीत भी गाए जाते हैं। इस त्यौहार पर ख़ास रूप से गुजिया , हलवा , पपड़ी इत्यादि मिष्ठान बनते हैं । होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसे हम आम भाषा में छोटी होली कहते हैं ‌।

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास यह है कि प्राचीन काल में एक हिरण्यकश्यप नाम का असुर हुआ करता था उसकी बहन का नाम था " होलिका " हिरण्यकश्यप स्वयं पर घमंड करते हुए स्वयं को भगवान माना करता था । हिरण्यकश्यप का एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रह्लाद था ये भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे और इसके विपरीत हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी थे । हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने से रोका पर वो ना रूके । तब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने का प्रयास किया जिसमें हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता मांगी क्योंकि होलिका को एक वरदान प्राप्त था कि वो आग में कभी जल नहीं सकतीं , तब होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई और आग की लपटें अत्यंत ज्वलनशील हो गयी लेकिन प्रह्लाद पर एक आंच तक ना आई और होलिका का वरदान उसके साथ साथ भस्म हो गया ।

इस काहानी से यह सिद्ध होता हैं कि " बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है "

आज भी लोग घास फूस , लकड़ी , गोबर इत्यादि के ढेर को इकट्ठा करके रात में जलाकर होलिका दहन करते हैं ।

और उसके अगले ही दिन सभी लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और तरह-तरह के रंग डालकर होली खेलते हैं । होली सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं ।

लोग एक-दूसरे को प्रेम स्नेह की गुलाल लगाते हैं । सभी प्रदेशों में होली अलग-अलग तरह से मनाया जाता है ।

हमारे उत्तरप्रदेश में स्थित बरसाना की लठमार होली काफी प्रसिद्ध है और ब्रज की होली तो सारे देश के आकर्षण का बिन्दु होती है ।

और इसी तरह मथुरा और वृंदावन में पन्द्रह दिन तक होली का पर्व मनाया जाता है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियां आयोजित होती है । ऐसे ही विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों द्वारा भिन्न भिन्न तरीके से होली का उत्सव मनाया जाता है जिसमें अनेक समानताएं भी है और अनेक भिन्नताएं भी होती है ।।

•होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम और अपनत्व के रंग भरता है •

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