प्यार पर एक ग़ज़ल

प्रेमियों को समर्पित

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Manu jain
Manu jain 01 May, 2020 | 1 min read

कि आब-ए-हयात मैं हो जाऊं

तिरी लबों की प्यास , मैं हो जाऊं

जब तुम्हारा नाम ले कोई

तेरे आमदों में , मैं खो जाऊं

कि तिरी‌ रूह में तलब उठे

और अस्ल-ए-इश़्क , मैं हो जाऊं

गर सुखा हुआ हो तन तेरा

सींचने उसे तर हवा , मैं हों जाऊं

तू ले मुझे अपनी बाहों में

आज थक के उनमें , मैं सो जाऊं

अब तड़प दिल में है ये जगी

खुद में खोकर भी तेरी , मैं हो जाऊं

अर्थ -:

आब-ए-हयात :- अमृत

आमद :- आगमन

अस्ल-ए-इश्क़ :-way of love

तर :- नमी

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Manu jain

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