ग़ज़ल में बहर का परिचय

#10articlechallenge Chapter 3

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Manu jain
Manu jain 07 May, 2020 | 1 min read

मिसरा -: ग़ज़ल में लिखी जाने वाली हर लाईन को मिसरा कहते हैं ग़ज़ल का हर मिसरा बहर के अनुसार ही लिखा जाता है ।

शेर -: ग़ज़ल में लिखे जाने वाले दो मिसरे के समूह को शेर कहते हैं । ग़ज़ल में शेर की अहम भूमिका होती है ।

मतला -: ग़ज़ल में लिखी गई सबसे पहली दो लाईन (मिसरा) जिनमें काफिया और रद़ीफ दोनों का प्रयोग किया जाता है उसे मतला कहा जाता है ।

बहर का अर्थ है लय

जब कोई ग़ज़ल के हर मिसरे की मात्रा में एक सी लय होती है तो उसे बा-बहर ग़ज़ल कहते हैं

Most important 8 beher

122

212

1222

2122

2212

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12112

2221

Ye hi main he inse hi 90% gazal likhi jati h

ग़ज़ल एक ऐसी काव्य विधा है जो बोली जाती है

ग़ज़ल लिखी नहीं जाती बोली जाती है

इसलिए ही इसमें सबसे ज्यादा ध्यान उनके उच्चारण पर दिया जाता है

जो भी शब्द ग़ज़ल में बोला जाता है वो अपने असली रूप में बोला जायेगा ना की आम बोल चाल में उपयोग होने वाला उसका तोडा मरोड़ा गया प्रकार ।

मात्रा गणना - ग़ज़ल में मात्रा गणना की एक अहम भूमिका है

मात्रा गणना से ही हमे ज्ञात होता है कि ग़ज़ल बहर में

है या नहीं

मात्रा दो प्रकार की होती है

लघु - जो शब्द या अक्षर को बोलने में हमे कम ज़ोर लगाना पड़े उसे लघु मात्रिक कहते हे

जिन्हें 1 लिख के दर्शाया जाता है

दिर्घ -जो शब्द या अक्षर को बोलने में हमे ज़ोर लगाना पड़ता है उन्हें हम दिर्घ मात्रिक कहते हे

और उन्हें 2 लिख के दर्शाया जाता हैं

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