उनकी हूं मैं , और मेरे हैं वो

Happy Valentine's day ❤️

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Manu jain
Manu jain 13 Feb, 2020 | 1 min read

उलझी डोर हूं मैं

जिसे सुलझाते है वो

कभी सम्हलती नहीं मैं

पर सम्हालते है वो

थोड़ी गर्म मिज़ाजी हूं मैं

लेकिन शीतल है वो

गर जिस्म हूं मैं

तो मेरी रूह है वो

फरेब हूं मैं इश्क़ में

लेकिन आदिल है वो

और हूं कड़वी नीम मैं

तो मीठी चासनी है वो

गर तीखी जवान हूं मैं

तो कोमल बोल है वो

मैं हूं आफ़ताब उनका

तो दीद -ए- नूर है वो

पेड़ की टहनी हूं मैं

तो उसपे बैठा मोर है वो

और घर का आंगन हूं मैं

तो उस आंगन की हरियाली है वो

मैं हूं नज़र उनकी

तो नज़रों की तहरीर है वो

गर हूं मैं मामूली हर्फ़

तो हर्फ़-ए -इनायत है वो

और हूं मैं शायर

तो मेरी शायरी के जज़्बात है वो

गर ज़िन्दगी की सांझ हूं मैं

तो मेरी जिंदगी का हर पहर है वो

माना हूं फ़ज़ल मैं उनकी

तो ग़ज़ल-ए-महफ़िल है वो

और मैं हयात हूं उनकी

तो रंग -ए- तमाज़त है वो

(रंग -ए- तमाज़त- colour of heart)

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