2020 तू क्यूं रुठा है रे!

2020 से कुछ प्रश्न है जो मन में उत्पन्न हुए हैं!

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 09 Jun, 2020 | 1 min read
New year 2020 Life

2020 तू इतना क्यूं रुठा है रे?

तेरे आगमन से पूर्व हमने

क्या-क्या नहीं किया था

तेरे स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी थी हमने

जिस तरह सूर्योदय से पूर्व

सूर्य की पहली किरण को देखने की बेसब्री

रहती है सभी के मन में

ठीक उसी तरह तेरे आगमन

का इंतजार था हम सभी को।।

पर जब से हुआ है तेरा आगमन

देख तो सही तू हर ओर

कुछ-न-कुछ अनहोनी ही घटित हो रही है

हर ओर अशांति-ही-अशांति है व्याप्त

निर्धन की आँखों से अश्रु की नदियां बह रही हैं

भूख से बिलबिला रहा है असहाय परिवार सड़कों पर

ज़िंदगी बदल ही गई है पूरी तरह

हर ओर सन्नाटा पसरा है

पता नहीं 2020 तू किस बात पर रुठा है।।

जब से हुआ है तेरा आगमन

मन में मची है एक अज़ब उथलपुथल

चहुंओर से बुरी ख़बरों को सुनकर हृदय है स्तब्ध

ज़िंदगी तो परीक्षा लेती ही थी पूर्व में भी

पर इन दिनों तो हर पल,हर क्षण

हो रही है हमारी कड़ी परीक्षा

तेरे रुठने की वज़ह भी तो हमें मालूम नहीं है

2020 तू अब कर भी दे माफ हमें

अब मान भी जा तू कर दे माफ हमें।।

2020 अब मत तड़पा तू दीन दुखियों को

उनके दामन में भर दे तू ख़ुशियाँ

ख़ुशहाली की किरण बिखेर दे तू अब हर ओर

हमारी गलतियों को भूल जा तू

और हमें शीघ्रातिशीघ्र कर दे माफ

ज़िंदगी की परीक्षा देते-देते

मन हो चुका है बहुत उदास

इतना भी मत रुठ हम सभी से

अब मान भी जा तू।।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Comments

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  • Babita Kushwaha · 5 years ago last edited 5 years ago

    वाह बहुत बढ़िया

  • Praveen Miss · 5 years ago last edited 5 years ago

    आपकी कलम को सलाम है भाई

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