बेटे बहादुर होते हैं

दुनिया के हर बेटे को समर्पित है यह "कविता"।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 04 Sep, 2020 | 1 min read
Hindi poetry Son

बेटे भी जब जाते हैं घर से दूर

शहर, चंद ख़्वाहिश पूर्ण करने

तब मात-पिता से लिपटकर

अपने भाई से अपनी बहन से

लिपट खूब रोते हैं।।

बेटे भी बेटियों की भाँति

पिता से बहुत प्रेम करते हैं

जब असमय ही पिता ईश्वर के पास

हमेशा के लिए जाते हैं

तब बेटे पिता को यादकर बहुत रोते हैं।।

बेटे भी बहुत बहादुर होते हैं

अपनों की ख़ुशी के लिए

अपनी ख़ुशी भूल जाते हैं

परिवार की ख़ुशी के लिए

तमाम दुखों से स्वंय लड़ते हैं।।

बेटे भी पिता की भाँति जानते हैं परिवार में

हर सदस्य का पूरा ख़्याल रखना

अपनत्व की परिभाषा को चरितार्थ

बेटे भी करते हैं, तभी तो बेटे भी

रिश्तों की डोर मजबूत करने हेतु करते हैं प्रयत्न।।

बेटे भी माँ की भाँति नहीं करते हैं

परवाह ख़ुद की कभी भी

जब बारी आती है परिवार के देखरेख की

तो बेटे ख़ुद का ख़्याल रखना भूलकर

अपनों को ख़ुश रखने का प्रयत्न करते हैं।।

बेटे उतने भी बुरे नहीं होते हैं कुछेक को छोड़कर

और जो बेटे होते हैं बुरे, नहीं करते हैं

परवाह मात-पिता की, मात-पिता को जो बेटे करते हैं

घर से बेघर, उन बेटों को

ईश्वर भी माफ़ नहीं करते हैं।।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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Comments

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  • Namrata Pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    सही कहा संदीप आपने बेटे बहुत बहादुर होते हैं

  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    धन्यवाद आपका

  • Babita Kushwaha · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत सही लिखा है

  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    धन्यवाद दी

  • Ektakocharrelan · 5 years ago last edited 5 years ago

    Very nice

  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    Thanks

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