अपने पापा के नाम एक ख़त

पिता के नाम एक ख़त।

Originally published in hi
Reactions 1
486
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 29 Jan, 2021 | 1 min read
A letter in the name of my father

पूज्यनीय पापा जी के नाम एक ख़त

पूज्यनीय पापा जी सादर चरणस्पर्श!

पापा! जब आप मेरी आँखों के सामने थे तब तो मैं आपका हालचाल जानता ही था कि आप हर दिन संतान की ख़ुशी के खातिर अनगिनत संकटों से लड़ते थे। अब जब आप मेरी आँखों से दूर बहुत दूर चले गए हैं बेवक्त ही तो आपकी कुशलता जानने में मैं ख़ुद को असमर्थ समझता हूँ, पर मैं दिन में दो तीन बार अवश्य ही ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूँ कि हे ईश्वर! मेरे पापा जहाँ कहीं भी हों उनको ख़ुश रखिएगा, क्योंकि एक पिता जब तक जीवित रहता है संतान को सदा ही ख़ुश रखता है। पापा जी पता नहीं आप असमय ही क्यों दूर बहुत दूर चले गए ईश्वर की शरण में पता नहीं ईश्वर ने आपको बेवक्त धरा पर से क्यों बुला लिया शायद उनको भी आपकी बहुत ज़रूरत थी।

पापा! हर पल मेरा दिल, बड़े भईया का व माँ का दिल इस प्रतीक्षा में है कि कब आप पुनः वापस अपने घर आंएगे? पर शायद यह कदापि संभव नहीं। क्योंकि जमाने का यह कहना है कि मृत्योपरांत कोई भी वापस लौटकर नहीं आता। तो शायद आप भी नहीं आएंगे कभी भी इस बात को न चाहते हुए भी मुझे अपने दिल को समझाना पड़ता है माँ के दिल को समझाना पड़ता है। सचमुच कितना अच्छा होता न कि अपने जीवन के अंतिम साँस तक आपका चेहरा अपनी आँखों से देख पाता अपने पापा को पूरी तरह समझ, जान पाता पर पता नहीं ईश्वर को क्या मंजूर था। मैं उस वक्त महज चौदह वर्ष का ही तो था पापा! जब आप असमय ही ईश्वर की शरण में चले गए। मेरी दसवीं की परीक्षा के चंद दिन शेष थे। मैं जानता हूँ जब आपको यह पता चलता कि आपका बेटा दसवीं की बोर्ड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ है तब आपकी ख़ुशी की सीमा न होती पर अफ़सोस जब मेरी परीक्षा का परिणाम आया तब आप मेरी आँखों के समक्ष मौजूद ही नहीं थे। तभी दौड़कर आपकी तस्वीर को स्पर्श कर आपका आशीर्वाद लिया था मैंने तो ऐसा लगा कि आप मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और कह रहे हैं कि बेटा खूब तरक्की करना इसी तरह आगे भी मैं साथ हूँ तुम्हारे हर घड़ी। पापा आपने जीवन में जो संघर्ष झेला था उसे जब आप मुझे और बड़े भाई जी को बताते थे तो मन में यही सोचता था कि जब बड़ा हो जाऊंगा तो आपको कोई भी काम नहीं करने दूंगा और जहाँ तक संभव होगा कड़ी मेहनत करूंगा पर आपके हिस्से में तनिक भी ग़म न आने दूंगा। पर पता नहीं ईश्वर की मर्जी क्या थी। आपको ख़ुश रख सकूं आपका ख्याल अच्छे से रख सकूं इससे पूर्व ही आपसे साथ छूट गया।

                    पापा आपके जीवन का हर दिन संघर्ष भरा रहा। पापा आपसे पढ़े गाँव के बच्चे जो आज बहुत बड़े हो गए हैं उम्र में भी और आर्थिक रुप से भी जब वे बच्चे आपको याद करते हुए आपकी प्रशंसा हम भाईयों के समक्ष करते हैं तो मन गर्व से भर जाता है उस वक्त और पलकों की कोर भींग जाती है। थोड़े में ही ख़ुश रहना, बच्चों को पढ़ाना-लिखाना, बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने हेतु पूरे दिन परेशान रहना पता नहीं आप इतना सब कैसे कर लेते थे। तमाम संकट ख़ुद तन पर सहन करते गए आप पर कभी भी महसूस न होने दिया किसी को। आज आप हमसे परिवार से दूर बहुत दूर हैं पर ऐसा लगता है कि आप हर घड़ी परिवार के आसपास ही मौजूद हैं, हमारे आसपास हैं। पापा! घर में सब सकुशल हैं। माँ भी ठीक है। दोनों भईया और मैं भी ठीक हूँ। हर संभव प्रयत्न करता हूँ कि माँ को आपकी कमी और किसी भी चीज़ की कमी महसूस न होने दूं। पर चाहकर भी त्यौहार वाले दिनों में या सामान्य दिनों में माँ की आँखों से निकलने वाले आँसुओं को रोक पाने में असमर्थ हो जाता हूँ। बाकी सब ठीक है। पापा! आपका स्नेह, दुलार, व आशीर्वाद सदा कायम रहेगा मुझ पर,जानता हूँ। विकट परिस्थिति में आपका नाम लेने मात्र से एक ऊर्जा मिलती है मुश्किल से डटकर सामना करने की हिम्मत मिलती है। बस ईश्वर से एक और प्रार्थना है पापा! कि आप जहाँ कहीं भी रहें ख़ुश रहें।

                                           आपका प्रिय पुत्र

                                           @कुमार संदीप

©मौलिक, स्वरचित

1 likes

Published By

Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Anita Bhardwaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत

  • Ektakocharrelan · 3 years ago last edited 3 years ago

    भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति 👌👏🌺🌺

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बारम्बार आभार

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    हार्दिक आभार

Please Login or Create a free account to comment.