शिक्षक का दिल

शिक्षकों को समर्पित यह कृति

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 29 Nov, 2021 | 1 min read
Poem dedicated to all teachers

पता है शिक्षक विशेष ख्वाहिश 

नहीं रखते हैं हम विद्यार्थियों से

बस शिक्षक की यही दिली ख्वाहिश रहती है

कि हम पढ़-लिखकर जगत का नाम रोशन करें।।


पता है शिक्षक भी होते हैं निराश

तब, जब हममें से कोई विद्यार्थी

सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाने के पश्चात

अपनों को ही भूलने लगता है,

ख़ुद को श्रेष्ठ समझने लगता है।।


पता है शिक्षक ताउम्र शिक्षण कार्य ही 

क्यों न करें? पर उनके पढ़ाए बच्चे

जब बनते हैं पदाधिकारी

तब शिक्षक का सीना गर्व से

चौड़ा हो जाता है, तब उनके दिल से

उस बच्चे के लिए दुआएँ निकलने लगती हैं।।।


पता है शिक्षक बिल्कुल हमारे पिता की तरह होते हैं

जिस तरह हमारे पिता हमसे अगाध प्रेम करते हैं

अपनी ख्वाहिशों की आहुति देकर

बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को निर्मित करते हैं

ठीक उसी तरह

शिक्षक भी ख़ुद को हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए

समर्पित करते हैं, और बना देते हैं हमें

अनमोल हीरा, जिसकी चमक से

रोशन हो जाती है पूरी दुनिया

तब शिक्षक का दिल

ख़ुशियों से झूमने लगता है।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

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  • ARUN SHUKLA Arjun · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत ही बेहतरीन एवं सटीक विश्लेषण किया भाई!

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद सर जी

  • Ruchika Rai · 4 years ago last edited 4 years ago

    बेहतरीन

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद मैम

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