जब गली-मुहल्लों से होकर
गुजरती है एक बेटी कहीं जाने के लिए
तो न जाने कई बुरी नज़रों से भी होकर गुजरती है
इंसान के रुप में गली के एक कोने में बैठे हैवान
जब डालते हैं बुरी नज़र बेटीयों पर
तो बेटियाँ नज़र झुकाकर
आगे की ओर बढ़ जाती हैं
कोसने लगती हैं ख़ुद को,ईश्वर को
कि हे ईश्वर! आपने ऐसे इंसान बनाएं ही क्यूं हैं?
जो इंसानियत की परिभाषा भूल
हैवानियत के पथ पर अग्रसर है
और ख़ुद से भी करती है सवाल
मैं हूं कमजोर, मुझ में इतनी शक्ति नहीं कि
उन हैवानों को सबक सिखाने हेतु करूँ प्रयत्न।।
बुरी नज़र डालने वाले उन दरिंदों से
डरने की बजाय नज़र झुकाने की बजाय
बेटियों को कदम आगे बढ़ाना चाहिए
नारी में है असीमित ताकत यह बताना चाहिए
बुरी नज़र आगे न डाल पाएं
दरिंदे कभी उन्हें सबक सिखाना चाहिए
और लेना चाहिए एक प्रतिज्ञा कि
उन दरिंदों से डरने वाली नहीं हूं
बल्कि दरिंदों को उसकी औकात दिखाने वाली हूं
हाँ मैं कमजोर,लाचार व बेबस नहीं
और न ही किसी भी मुश्किलों से डरने वाली हूं
डर का सामना डरकर नहीं अपितु
डटकर करूँगी हर पल,हर क्षण मैं
हाँ मैं आज की नारी हूं।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
bahut sundr
धन्यवाद आपका भाई जी
बिल्कुल सही और प्रेणास्प्रद
Well explained! Sandeep jee
धन्यवाद बबिता दी
धन्यवाद इंदु मैम
Wah Sandeep ji
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